कोरोना वायरस के मामले दुनियाभर में बढ़ते ही जा रहे हैं। हालांकि बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जो कोरोना से रिकवरी कर रहे हैं। हालांकि कोरोना से ठीक होने के बाद भी मरीजों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा हम नहीं बल्कि कोरोना को लेकर होने वाली रिपोर्ट्स का मानना है।
संक्रमित शव से भी फैल सकता है कोरोना
रिपोर्ट के मुताबिक, अब किसी कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति के मौत हो जाती है तो उसके शरीर से भी कोरोना फैल सकता है। ऐसा पहला मामला थाईलैंड में सामने आया था जहां कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव से एक डॉक्टर में फैल गया। न्यूयॉर्क के जॉन जे कॉलेज ऑफ क्रिमिनल जस्टिस में पैथोलॉजी के प्रोफेसर एंजेलिक कोरथल्स ने कहा, 'न केवल डॉक्टर्स बल्कि शवगृह के तकनीशियनों और मृतक के अंतिम संस्कार में शामिल हो रहे लोगों को भी ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।'
लिवर व दिल पर असर
चीन की स्टडी के मुताबिक, कोरोना के 34 मरीजों के खून की जांच की, जो इस संक्रमण से उबर रहे थे। उसमें सामने आया कि कई लोगों का शरीर, बीमारी से पहले की तरह सामान्य नहीं हो पाया था।
ठीक होने के बाद भी रह जाएंगे ये असर
कोरोना का सबसे ज्यादा असर लिवर व फेफड़ों पर पड़ता है। डॉक्टर्स का कहना है कि जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं उनका लिवर खराब हो चुका है। वहीं, 12 फीसदी ठीक हो चुके मरीजों में हार्ट फेल होने व सांस संबंधी दिक्कत देखी गई।
टी-कोशिकाओं पर कर सकता हमला
शंघाई के फुडन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, कोरोना टी लिम्फोसाइट (टी-कोशिका) कोशिकाओं को निष्क्रिय कर देता है, जो शरीर में रोगजनकों की पहचान करने व उन्हें खत्म करने में मदद करती हैं। जबकि SARS में इन टी कोशिकाओं को संक्रमित करने की क्षमता नहीं थी। स्टडी के अनुसार, कोरोना टी लिम्फोसाइट को HIV की तरह ही नुकसान पहुंचाता है।
दिल की धड़कन होती है अनियमित
कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए डॉक्टर्स उन्हें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा दे रहे है लेकिन ब्राजील की एक स्टडी के अनुसार, यह दवा दिल पर काफी असर डालती है। जिन 81 मरीजों ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की ज्यादा खुराक ली थी उनमें दिल की धड़कन अनियमित होने की शिकायत पाई गई।