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नए शोध ने बढ़ाई चिंता! बनने के बाद भी 2022 तक सभी लोगों को नहीं मिल पाएगी वैक्सीन

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 17 Dec, 2020 11:42 AM
नए शोध ने बढ़ाई चिंता! बनने के बाद भी 2022 तक सभी लोगों को नहीं मिल पाएगी वैक्सीन

रूस, चीन के अलावा अमेरिका-ब्रिटेन और कई देशों में कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण शुरू कर दिया गया है। वहीं भारत भी वैक्सीन की इमरजेंसी अप्रूवल लेने की तैयारी में है लेकिन टीकाकरण शुरू होने से पहले ही एक बुरी खबर सामने आ रही है। दरअसल, एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, दुनिया की करीब 1/4 आबादी साल 2022 तक तक कोरोना टीके से वंचित रह सकती है। यानि वैक्सीन बनने के बाद भी इतनी आबादी को दवा नहीं मिल पाएगी।

2022 तक नहीं मिल पाएगी पूरी आबादी को वैक्सीन

अध्ययन में सचेत किया गया है कि वैक्सीन को वितरित करना उसे विकसित करने से दोगुना मुश्किल भरा होगा। अनुमान लगाया है कि दुनियाभर में 3.7 अरब वयस्क कोरोना वैक्सीन लगवाना चाहते हैं। हालांकि अधिक आय वाले देशों ने वैक्सीन की आपूर्ति कर ली है लेकिन अभी भी कई देश इसकी पहुंच से दूर है। वैक्सीन की 51% खुराक तो अधिक आय वाले देशों को मिलेगी, जिनकी आबादी करीब 14 % है। जबकि बाकी दवा कम आय वाले देशों की, जिनकी जनसंख्या 85% से अधिक हैं।

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कम आय वाले देशों को मिलेगी वैक्सीन

ऐसे में शोधकर्ताओं के मुताबिक, करीब 1/4 आबादी को 2022 तक कोरोना का टीका मिल पाना संभव नहीं है। अगर टीका का निर्माण अधिक क्षमता तक भी पहुंच जाए तो भी साल 2022 तक दुनिया की पूरी आबादी को वैक्सीन पहुंचाने में सफल नहीं हो पाएंगे। कम आय वाले करीब 70 देशों में हर 10 लोगों में से 1 व्यक्ति को ही वैक्सीन मिल पाएगी।

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2024 के अंत तक मिलेगी कोरोना वैक्सीन

वहीं, इससे पहले फार्मा कंपनी 'सीरम इंस्टीट्यूट' के CEO अदार पूनावाला ने कहा था कि साल 2024 तक वैक्सीन लोगों को उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि वैक्सीन बन जाते के बाद भी साल 2024 के अंत तक ही यह सभी लोगों को मिल पाएगी।

वैक्सीन बनने के बाद भी क्यों लगेंगे इतने साल?

ऐसा इसलिए क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को वैक्सीन के 2 शॉट देने पड़ेंगे लेकिन दुनिया की कुल आबादी लगभग 7.5 अरब है और पूरी दुनिया के लिए कम से कम 15 अरब वैक्सीन की जरूरत होगी। ऐसे में पूरी दुनिया के लिए वैक्सीन बनाने में 4-5 साल का समय लग सकता है।

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गौरतलब है कि दुनियाभर में अब तक 7 करोड़ 38 लाख लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं जबकि करीब 16 लाख लोग इसकी वजह से अपनी जान गवां चुके हैं।

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