
नारी डेस्क: उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित ताजमहल, जहां हर दिन हजारों पर्यटक घूमने आते हैं, वहां से एक बेहद शर्मनाक और अमानवीय घटना सामने आई है। एक परिवार ने अपने बुजुर्ग सदस्य को गर्म और बंद कार में ताले में बंद कर दिया और खुद ताजमहल घूमने निकल गया। यह घटना ताजमहल की पश्चिमी पार्किंग की है। पार्किंग में एक महाराष्ट्र नंबर प्लेट वाली कार खड़ी थी जिसमें एक परिवार के सात सदस्य सवार थे चार महिलाएं और तीन पुरुष। जब परिवार ताजमहल घूमने गया, तो उन्होंने अपने साथ मौजूद एक बुजुर्ग व्यक्ति को कार में ही बंद कर दिया। इतना ही नहीं, बुजुर्ग के हाथों को गमछे से बांध भी दिया गया और फिर उन्होंने कार लॉक कर दी। गाड़ी पूरी तरह बंद होने के कारण अंदर गर्मी और घुटन बढ़ गई और बुजुर्ग की हालत बिगड़ने लगी।
कैसे चला मामला अधिकारियों को पता?
पार्किंग में तैनात कर्मचारियों को शक हुआ कि कार के अंदर कोई असहज स्थिति में है। उन्होंने कार के पास जाकर देखा तो उन्हें बुजुर्ग की हालत ठीक नहीं लगी। इसके बाद उन्होंने तुरंत पर्यटन पुलिस को सूचना दी। जैसे ही पर्यटन पुलिस और मेडिकल टीम मौके पर पहुंची, उन्होंने स्थिति को गंभीर पाया। टीम ने बिना देरी किए कार का शीशा तोड़ा बुजुर्ग व्यक्ति को बाहर निकाला गया, उन्हें फौरन एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया जाने लगा।
परिवार लौटा और बुजुर्ग को जबरन ले गया वापस
जब बुजुर्ग को अस्पताल ले जाया जा रहा था, उसी समय परिवार के बाकी सदस्य वापस लौट आए। सबसे हैरानी की बात यह रही कि उन्होंने मेडिकल सहायता लेने की बजाय बुजुर्ग को जबरदस्ती फिर से कार में बैठाया और मौके से रवाना हो गए। यह व्यवहार न सिर्फ गैरजिम्मेदाराना था बल्कि कानून और मानवता दोनों के खिलाफ था।

क्या होगी अब कार्रवाई?
इस घटना ने न केवल पर्यटन स्थल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया कि कुछ लोग मानवता की सारी हदें पार कर देते हैं। एक तरफ जहां बुजुर्गों को सम्मान देने की परंपरा है, वहीं दूसरी तरफ ऐसा अमानवीय व्यवहार देखकर समाज भी शर्मिंदा होता है। प्रशासन ने कहा है कि इस मामले में आवश्यक कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
पर्यटन निरीक्षक कुंवर सिंह ने इस पूरे मामले पर जानकारी दी। उन्होंने कहा,"शुरुआती जांच में सामने आया है कि यह परिवार महाराष्ट्र से ताजमहल घूमने आया था। उन्होंने बुजुर्ग की असहाय हालत को नजरअंदाज किया और उन्हें कार में बंद करके चले गए। जब हालत बिगड़ी, तो उन्हें शीशा तोड़कर बाहर निकाला गया।"