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आपका बच्चा भी बात-बात पर करता है गुस्सा?

  • Edited By Shiwani Singh,
  • Updated: 01 Mar, 2022 04:58 PM
आपका बच्चा भी बात-बात पर करता है गुस्सा?

बच्चों का खेलना-कूदना, छोटी-मोटी शरारतें करना आम है। जब बच्चा छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करने लगे, चीखने-चिल्लाने लगे और समझाने के बावजूद न समझे तो यह पेरैंट्स के लिए खरते की घंटी हो सकती है। कभी-कभार बच्चे गुस्सा करते हैं लेकिन हर बात पर और लगातार बच्चे का गुस्सा करना अच्छा नहीं। पेरैंट्स को बच्चे के क्रोध को कंट्रोल करना जरूरी है नहीं तो वह आगे जाकर हिंसक भी हो सकते है। बच्चे के गुस्से को कम करने में यहां बताए टिप्स पेरैंट्स के लिए मददगार हो सकते हैं-

बच्चे के प्रति गुस्सैल व्यवहार बदलें

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कई माता-पिता ऐसे होते हैं जो बच्चे की छोटी-मोटी गलती पर उन्हें खूब डांटते-फटकारते हैं। कुछ तो बच्चों पर हाथ तक उठा देते हैं। बच्चों के प्रति पेरैंट्स का यह व्यवहार उन्हें गुस्सैल और हिंसक बना सकता है। एक सर्वे के मुताबिक आक्रामक पेरैंटिंग का तरीका भी बच्चे के व्यवहार को गुस्सैल बनाता है। बच्चे की गलती पर डांटने-पीटने की जगह उसे प्यार से समझाएं। उनसे किसी भी काम को जबरन न कराएं। जरूरत से ज्यादा टोका-टाकी न करें।

बच्चे में गुस्से का कारण समझें

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कई बार बच्चे अपने आस-पास होने वाले व्यवहार से गुस्सैल प्रवृति के हो जाते हैं। इसकी कोई भी वजह हो सकती है।  जैसे, घर में होने वाले लड़ाई-झगड़े, पढ़ाई लिखाई में कमजोर होना, स्कूल में दूसरे बच्चे द्वारा परेशान करना या फिर माता-पिता द्वारा दूसरे बच्चों से तुलना करना। इसके लिए जरूरी है कि पेरैंट्स बच्चे से खुलकर बात करें और उनके गुस्से के कारण को समझकर उसका हल निकालें।

बच्चे के व्यवहार पर ध्यान दें

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ज्यादातर माता-पिता अपने काम में इतने व्यस्त होते हैं कि वह बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाते। उनकी यह लापरवाही उनके लिए हानिकारक भी हो सकती है।  अगर बच्चा गुस्सैल प्रवृत्ति का है तो पेरैंट्स को उसके व्यवहार पर ध्यान देने की जरूर है। इससे पेरैंट्स यह समझ पाएंगे कि बच्चे को किस बात पर गुस्सा आता है और वे इसे दूर भी कर सकेंगे।

गुस्से के बारे में बताना सिखाएं

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जो बच्चे गुस्सैल होते हैं वे अपने क्रोध का कारण व्यक्त नहीं कर पाते जिसके बाद वे अंदर ही अंदर जलते रहते हैं। जिस बात से उन्हें गुस्सा आता है उसके बार-बार होने से उनका क्रोध बढ़ता जाता है। इसलिए जरूरी है कि पेरैंट्स बच्चों को भावनाएं व्यक्त करना सिखाएं।

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