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सफला एकादशी: घर की सुख-समृद्धि के लिए जपे भगवान विष्णु के मंत्र, भूलकर भी ना करें ये काम

  • Edited By neetu,
  • Updated: 29 Dec, 2021 01:53 PM
सफला एकादशी: घर की सुख-समृद्धि के लिए जपे भगवान विष्णु के मंत्र, भूलकर भी ना करें ये काम

पौष माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी सफला एकादशी कहलाती है। इस साल यह शुभ तिथि 30 दिसंबर 2021, दिन गुरुवार को पड़ रही है। साथ ही यह साल की आखिरी एकादशी होगी। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, एकादशी के दिन कुछ कामों को करने से बचना चाहिए। नहीं तो भगवान जी की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही भगवान विष्णु के कुछ मंत्रों का जप करने से उनकी विशेष कृपा पाई जा सकती है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...

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सफला एकादशी के दिन न करें ये काम


इन चीजों का सेवन ना करें

सफला एकादशी के व्रत दौरान सात्विक भोजन खाना चाहिए। इस दौरान लहसुन, बैंगन, प्याज, मांस-मदिरा, तंबाकू, पान-सुपारी आदि का सेवन करने से परहेज रखना चाहिए।

  
बिस्तर पर ना सोएं

इस दिन व्रती को बिस्तर की जगह जमीन पर सोना चाहिए। मान्यता है कि इस शुभ तिथि पर रात्रभर जागरण करना चाहिए।

फूल-पत्ते ना तोड़ने

एकादशी के दिन फूल-पत्ते तोड़ना अशुभ माना जाता है। इसलिए आप एक दिन पहले की भगवान को चढ़ाने के लिए तुलसी का पत्ता, फूल तोड़ लें।

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दातुन ना करें

इन दिन दातुन करना अशुभ माना जाता है। ऐसे में आप भी अगर सफला एकादशी का व्रत रख रही हैं तो इस शुभ दिन पर दातुन करने से बचें।

ब्रह्मचर्य का पालन करें

सफला एकादशी के दिन सारा ध्यान भगवान की भक्ति पर लगाएं। ऐसे में इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।


सफला एकादशी के दिन करें ये काम


भगवान जी की भक्ति करें

इस दिन व्रती को दिनभर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी का ध्यान करना चाहिए।

किसी की निंदा करने से बचें

वैसे तो जीवन में कभी भी किसी का अपमान या निंदा नहीं करनी चाहिए। मगर एकादशी व अन्य शुभ तिथियों पर ऐसा करने से खासतौर पर बचना चाहिए।

भगवान विष्णु के इन मंत्रों का करें जाप

ऊं नमो भगवते वासुदेवाय

ऊं नारायणाय नम:

ऊं विष्णवे नम:

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श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

ऊं हूं विष्णवे नम:

ऊं लक्ष्मी विनायक मंत्र

ऊं नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

ऊं अं वासुदेवाय नम:

ऊं आं संकर्षणाय नम:

ऊं अं प्रद्युम्नाय नम:

ऊं अ: अनिरुद्धाय नम:

 

 

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