हमारे देश के प्रधानमंत्री नागरिकों से हमेशा यही कहते हैं कि हम भारतीयों को स्वदेशी को प्रमोट करना चाहिए। इससे एक तो हमारे देश के कईं लोगों को रोजगार मिलेगा तो दूसरा उनमें काम करने का और भी साहस उजागर होगा। इस बात में कोई शक नहीं है कि आज महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर खुद ही कदम आगे बढ़ा रही हैं। रांची की जीतन देवी भी आज ऐसा काम कर रही है जो सच में काबिले तारीफ है।
गांव-गांव जाकर दे रहीं ट्रेनिंग
हम जिस जीतन देवी की बात कर रहे हैं वह बांस से कईं तरह की सुंदर चीजें बना लेती हैं लेकिन उन्होंने अपनी यह कला सिर्फ अपने तक सीमित नहीं रखी बल्कि वह अन्य महिलाओं को भी इसकी ट्रेनिंग दे रही हैं। वह गांव गांव जाकर महिलाओं को ट्रेनिंग दे रही हैं और उन्हें बांस से अलग अलग चीजें बनाना सीखा रही है।
30 महिलाएं कर रहीं काम
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार जीतन देवी के साथ-साथ 30 महिलाएं और कम कर रही हैं और वह भी जीतने देवी के साथ दूसरे गांवों में जाकर महिलाओं को बांस से अलग-अलग चीजें बनाना सीखा रही हैं। जीतन देवी की ही पहल से आज बहुत सी महिलाओं को रोजगार मिला है और वह आज अपने पैरों पर खड़ी हैं। जीतन देवी की मानें तो बांस से प्रोडक्ट बनाना तो उनकी परंपरा है।
छठ पूजा में बेचे प्रोडक्ट्स
आज यह महिलाएं समाज में अलग पहचान तो कायम कर ही रही हैं साथ ही में वह खुद को सशक्त भी बना रही हैं। जीतन देवी की मानें तो उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान इन्हीं प्रोडक्टस को छठ पूजा और कईं शादियों में बेचा।
ट्रेनिंग के मिलते थे 10 रूपए
कहते हैं न कि बांटने से कभी भी आपकी चीज कम नहीं होती है। अगर आपके हाथ में कुछ करने की कला है तो आप उसे अपने तक सीमित न रखें। कुछ ऐसा ही किया जीतन देवी ने। जीतन देवी ने ओडिशा में ही रहते हुए 7 साल तक बांस से प्रोडक्ट बनाने का काम सीखा। इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग के 10 रुपए मिलते थे।
पति के साथ अलग-अलग जगहों पर जाकर देती हैं ट्रेनिंग
खुद सीखने के बाद जीतने देवी ने पति के साथ अलग-अलग जगह जाकर इसे सीखाने का काम शुरू किया है। और अब वह बांस से प्रोडक्ट बनाने की लोगों को ट्रेनिंग देती हैं। हालांकि जीतन देवी यह भी बताती हैं कि लॉकडाउन के दौरान प्रोड्क्ट्स की मांग में गिरावट आई है।
इस काम से खूब मनाफा कमा रहीं
जीतन देवी की मानें तो वह पहले वे बांस से बने जिन प्रोडक्ट्स को 1500 से 2000 रुपए में बेचती थीं उन्हें जब मॉडर्न टच देना शुरू किया तो वो अब 10 से 12,000 रुपए में बिक रहे हैं। ऐसे में उन्हें इससे खूब मुनाफा भी हो रही है और उन्हें कईं ऑर्डर भी मिल रहे हैं। वह झारखंड के बाहर भी अपने प्रोडक्ट्स को बेचने जाती हैं।
काम को आगे बढ़ाने के लिए सरकार से की यह अपील
जीतन देवी ने एएनआई से बात करते हुए कहा, ' लगभग 30 महिलाएं हमारे साथ काम कर रही हैं। अब, मैं लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए विभिन्न स्थानों पर जाती हूं। मैंने सरकार से हमें मशीनें उपलब्ध कराने का आग्रह किया है ताकि हम एक दिन में अधिक से अधिक सामान बना सकें।'