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नया खतराः खून के थक्के जमाकर ब्रेन पर अटैक कर रहा कोरोना, रिकवरी के बाद भी समस्याएं

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 27 Oct, 2020 12:37 PM
नया खतराः खून के थक्के जमाकर ब्रेन पर अटैक कर रहा कोरोना, रिकवरी के बाद भी समस्याएं

कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। रिकवरी के बाद भी दुनियाभर में पोस्ट और लॉन्ग कोविड के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। वहीं, कोरोना से रिकवरी के बाद अब 50 नए  ब्रेन हैमरेज-पैरालिसिस और मिर्गी के मामले सामने आए हैं।

कोरोना से रिकवरी के बाद ब्रेन हैमरेज का डर

खबरों के मुताबिक, कोरोना से ठीक हो चुके 50 भारतीय मरीजों में ब्रेन हैमरेज-पैरालिसिस और मिर्गी की समस्या देखने को मिली। इनमें से कुछ मरीज ठीक हो चुके हैं तो कुछ का इलाज चल रहा है। यही नहीं, कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में थकान, मांसपेशियों में दर्द, सांस लेने में दिक्कत जैसी कोविड कॉम्प्लिकेशन भी आ रही हैं।

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ब्रेन हैमरेज का खतरा क्यों?

दरअसल, कोरोना के कारण मरीज का खून गाढ़ा हो जाता है। वहीं कुछ लोगों में इसके कारण खून के थक्के बनना (ब्लड क्लाटिंग) की समस्या भी देखने को मिली। इसी कारण लोगों को ब्रेन हैमरेज, पैरालिसिस और मिर्गी के दौरे पड़ना जैसी समस्याएं भी हो रहीं है। कोरोना संक्रमण होने के बाद फेफड़ों और गले में सूजन आ जाती है और 3-5 दिन बाद मरीज का खून गाढ़ा हो जाता है।

ब्रेन में रूक जाती है खून की सप्लाई

मरीज को पता ही नहीं चलता कि उनकी रक्त वाहिकाओं में खून का थक्का बनने लगा है। ऐसे में ब्रेन में खून और ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती, जिससे हैमरेज, पैरालिसिस और मिर्गी का दौरा पड़ सकता है। इसे ब्रेन इंफार्क्ट भी कहा जाता है।

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हार्ट अटैक का भी रिस्ट

हालांकि ऐसा जरूरी नहीं कि खून का थक्का सिर्फ ब्रेन की कोशिकाओं में बने। ऐसा किसी भी नब्ज में हो सकता है। यही वजह है कि इससे दिल का दौरान पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है। वहीं, सामने आए कुछ नए मामलों में पाया गया है कि कोरोना से रिकवरी के बाद व्यक्ति के फेफड़े, लिवर और दिल सही से काम नहीं कर रहे। ऐसे में लोगों को अपनी सेहत को लेकर और भी सतर्क होना होगा, खासकर जो कोरोना से अभी उभरे हों।

अन्य बीमारियों की तुलना में कोरोना से ज्यादा ब्लड क्लॉटिंग

एक्सपर्ट का कहना है कि गलत खान-पान और दूसरी बीमारियों की तुलना में कोरोना वायरस से ज्यादा ब्लड क्लॉटिंग के मामले सामने आ रहे हैं। वहीं, गंभीर मामले में तो इससे मौत भी हो रही है। इन थक्कों की वजह से मरीजों के फेफड़ों में गंभीर सूजन भी हो रही है।

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