22 NOVFRIDAY2024 1:01:41 AM
Nari

मोबाइल की 'कैद' में बचपन:  दिन में 10 घंटे स्क्रीन से चिपके रहते हैं बच्चे, पेरेंट्स को ध्यान देने की जरूरत

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 29 Sep, 2023 10:58 AM
मोबाइल की 'कैद' में बचपन:  दिन में 10 घंटे स्क्रीन से चिपके रहते हैं बच्चे, पेरेंट्स को ध्यान देने की जरूरत

एक नए सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि 12 साल तक की उम्र के कम से कम 42 प्रतिशत बच्चे हर दिन औसतन दो से चार घंटे अपने स्मार्टफोन या टैबलेट से चिपके रहते हैं जबकि इससे अधिक आयु के बच्चे हर दिन 47 फीसदी वक्त मोबाइल फोन की स्क्रीन पर बिताते हैं। वहीं 74 प्रतिशत बच्चे यूट्यूब की दुनिया में खो जाते हैं जबकि 12 साल और उससे अधिक आयु के 61 प्रतिशत बच्चे गेमिंग की ओर आकर्षित होते हैं। 

PunjabKesari
बच्चों के पास हैं अपने टैबलेट या स्मार्टफोन

वाईफाई पर चल रहे ‘ट्रैफिक' पर नजर रखने वाले उपकरण ‘हैप्पीनेट्ज' कंपनी द्वारा कराए सर्वेक्षण के अनुसार, जिन घरों में कई उपकरण हैं वहां अभिभावकों के लिए अपने बच्चों के स्क्रीन पर बिताने वाले वक्त को नियंत्रित करना और उन्हें आपत्तिजनक सामग्री देखने से रोकना एक चुनौती है। यह सर्वेक्षण 1,500 अभिभावकों के बीच किया गया जिसमें पाया गया कि 12 साल और उससे अधिक आयु के 69 प्रतिशत बच्चों के पास अपने टैबलेट या स्मार्टफोन हैं जिससे वह इंटरनेट पर बिना किसी रोकटोक के कुछ भी देख सकते हैं। 


स्क्रीन पर नजर गड़ाए बैठे रहते हैं बच्चे

सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया- ‘‘स्क्रीन पर आधारित मनोरंजन के कारण उनका स्क्रीन पर बिताया वक्त बढ़ जाता है जिससे 12 साल तक की उम्र के 42 प्रतिशत बच्चे हर रोज औसतन दो से चार घंटे स्क्रीन पर नजर गड़ाए रहते हैं तथा 12 साल से अधिक उम्र के बच्चे हर दिन 47 प्रतिशत वक्त स्क्रीन पर बिताते हैं।'' हैप्पीनेट्ज की सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऋचा सिंह ने कहा, ‘‘जब शिक्षा से लेकर मनोरंजन तक सब कुछ डिजिटल हो रहा है तो स्मार्ट उपकरण आज बच्चों के लिए एक सहायक बन गया है। 

PunjabKesari

हर वक्त होता है  गैजेट्स का इस्तेमाल

दरअसल बच्चे अच्छा-खासा वक्त अपने गैजेट्स पर बिताते हैं चाहे वे स्कूल से मिला होमवर्क करना हो, दोस्तों या परिवार के सदस्यों के साथ चैट करना हो या पढ़ाई के लिए ऐप का इस्तेमाल करना हो।'' हैप्पीनेट्ज एक ‘पैरंटल कंट्रोल फिल्टर बॉक्स' उपलब्ध कराता है जो 11 करोड़ से अधिक वेबसाइट और ऐप पर नियमित नजर रखता है और उसने 2.2 करोड़ से अधिक आपत्तिजनक वेबसाइट और ऐप को स्थायी रूप से प्रतिबंधित किया है। 

 

बच्चों को होता है ये नुकसान

- 'स्क्रीन अडिक्शन' के चलते बच्चों में भूख लगने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है। जब वह मोबाइल पर फोक्स करते हैं तो उनके अंदर भूख की इच्छा ही जन्म नहीं लेती। 

-अधिक देर तक फोन का इस्तेमाल नींद में खलल डालता है जो कि दिमागी विकास को भी प्रभावित करती है। अपर्याप्त नींद से स्लीप डिसऑर्डर का खतरा बना रहता है।

-ज्यादा मोबाइल यूज करने से बच्चों में स्पीच डेवलपमेंट नहीं हो पाता और उनका ज्यादातर समय गैजेट्स में ही बीत जाता है।

-मोबाइल व अन्य सभी इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों से एक ब्लू लाइट निकलती है जो सिर्फ आंखों ही नहीं बल्कि स्किन और हार्मोंनल विकास को भी प्रभावित करती है। 

-मोबाइल की लत के कारण बच्चा और किसी भी काम में ध्यान नहीं देता। वहीं, समाजिक और व्यवहारिक रूप से भी वह लोगों से नहीं जुड़ पाता। 

PunjabKesari
पेरेंट्स इस तरह दें बच्चों पर ध्यान 

-बच्चों को आउटडोर एक्टिविटीज के लिए प्रोत्साहित करें, ऐसा करने के लिए मां-बाप को पहले खुद में सुधार करना होगा. बच्चों को सामने खुद भी फोन से दूरी बनानी होगी।

- पर्सनैलिटी डेवलपमेंट थेरेपी, स्पीच थेरेपी और स्पेशल एजुकेशन थेरेपी से कुछ हद तक बच्चों को रोका जा सकता है। 

-बच्चे के साथ समय बिताएं। क्योंकि कई बार वह अकेले होने पर मोबाइल देखने लगते हैं। 

-बच्चों के सामने जितना हो सके फोन का इस्तेमाल न करें। ऐसा करने से उनमें मोबाइल के प्रति रुझान और उसे पाने की लालसा खत्म होगी।

-लिफ्ट, ट्रेन, बस या कार में बच्चों को मोबाइल बिलकुल भी इस्तेमाल न करने दें, क्योंकि ऐसा करने से रेडिएशन की तीव्रता बढ़ सकती है

-इस बात का आपको ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के बेडरूम में सोते वक्त मोबाइल न रहे।

Related News