अरंडी का तेल, जिसे कभी इटली में फासीवादी लोग इसके त्वरित रेचक (लैक्सेटिव) प्रभाव के कारण सजा देने में इस्तेमाल करते थे, अब टिकटॉक पर वजन घटाने का चलन बन गया है। इसे पीया नहीं जाता, बल्कि अपने पेट पर लगाना होता है। लोग इसे अपनी नाभि में भी लगा रहे हैं और इससे गीला किये गए तौलिये को अपने पेट के चारों ओर लपेट रहे हैं। उनका दावा है कि यह पेट की चर्बी को कम कर सकता है और सूजन से राहत दिलाता है।
इस काम में इस्तेमाल होता था तेल
अरंडी का तेल, अरंडी के पौधे की फलियों से बनाया जाता है। यह तेल एक प्राचीन औषधि है। इसका उल्लेख प्राचीन मिस्र के चिकित्सा ग्रंथ एबर्स पेपिरस (1550 ईसा पूर्व) में मिलता है। इसका उपयोग रेचक के रूप में और विभिन्न त्वचा रोगों के उपचार के लिए किया जाता था। कहा जाता है कि (मिस्र के टोलेमी वंश की अंतिम रानी) क्लियोपेट्रा ने इसे अपने बालों में और अपनी आंखों के सफेद भाग को चमकाने के लिए इस्तेमाल किया था। इस गंधहीन तेल में रिसिनोलेइक एसिड नामक वसायुक्त पदार्थ प्रचुर मात्रा में होता है, जो मल त्याग में सहायक होता है। वर्तमान में, यह कुछ देशों में अल्पकालिक कब्ज के लिए एक स्वीकृत उपाय है और इसका उपयोग चिकित्सा जांच से पहले आंत को साफ करने के लिए किया जाता है।
अरंडी के तेल के फायदे
हालांकि, यह इंगित करने के लिए अधिक वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं कि यह रेचक प्रभाव अन्य आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले जुलाब से बेहतर है, जैसे कि सेन्ना - जिसका उपयोग सदियों से किया जाता रहा है। इस तेल के अन्य पारंपरिक उपयोगों में आंखों में दर्द व जलन के इलाज के रूप में, जोड़ों और मासिक धर्म के दर्द से राहत दिलाने के लिए और प्रसव को प्रेरित करने के उपाय के रूप में शामिल हैं। लेकिन, इन चीजों को प्रमाणित करने के साक्ष्य कम हैं। अरंडी का तेल न केवल पिया जाता है, बल्कि इसका व्यापक रूप से त्वचा क्रीम, हेयर कंडीशनर और लिपस्टिक जैसे अन्य सौंदर्य उत्पादों में भी उपयोग किया जाता है।
तेल के होते हैं साइड इफेक्ट भी
इसका उपयोग त्वचा को नमी प्रदान करने और झुर्रियों को कम करने के लिए किया जाता है। इसके मॉइस्चराइजिंग गुणों का श्रेय रिसिनोलेइक एसिड को दिया जाता है। हेयरकेयर उत्पादों के हिस्से के रूप में, यह बालों के झड़ने और रूसी (डैंड्रफ) से निपटने में मदद करता है। लेकिन अरंडी के तेल को एकल उत्पाद के रूप में लेना जोखिम मुक्त नहीं है। तेल का सेवन करने के मुख्य दुष्प्रभाव पेट में ऐंठन, उल्टी, सूजन और चक्कर आना है। कमजोर लोगों, जैसे कि बुजुर्ग, शिशु, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं, और गुर्दे के रोगों से पीड़ित लोगों को अरंडी के तेल का उपयोग करने से बचना चाहिए। साथ ही सूजन आंत्र रोग, अपेंडिसाइटिस या जठरांत्र संबंधी अवरोध वाले किसी भी व्यक्ति को भी अरंडी के तेल का उपयोग नहीं करना चाहिए।
सावधानी बरतने की जरूरत
यदि आप अपनी त्वचा या सिर पर यह तेल लगाना चाहते हैं, तो सावधानी बरतें। कुछ लोगों में, यह एलर्जी की प्रतिक्रिया को बढ़ा सकता है। हमेशा त्वचा के एक छोटे से हिस्से पर थोड़ी मात्रा में शुद्ध अरंडी का तेल या अरंडी के तेल से युक्त सौंदर्य उत्पाद लगाने की सलाह दी जाती है। यदि 24 घंटे के बाद कोई एलर्जी प्रतिक्रिया नहीं होती है, तो यह माना जा सकता है कि उत्पाद को शरीर के बड़े हिस्से में सुरक्षित रूप से लगाया जा सकता है। आखिरकार, हालांकि, आम तौर पर सुरक्षित और बेहतर उपाय मौजूद हैं और इसे अपने पेट पर लगाने से चर्बी नहीं कम होगी।