देशभर में गणेश चतुर्थी का उसत्व बड़े ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है। लोगों मे बप्पा की मूर्ति को स्थापित कर लिया है। भगवान गणेश को उनके गुणों ओर कामों के आधार पर कई नाम से पुकारा जाता है 'विघ्नहर्ता, 'बप्पा', 'एकदंत' गणपति। वहीं बड़े पेट के कारण लोग उन्हें 'लंबोदर' कहकर पुकारते हैं। चीन के लाफिंग बुद्धा के अलावा भगवान गणेश ही एक मात्रा देवता हैं जिनका पेट बड़ा है। गणेश जी के लंबे पेट से संबंधित कई कथाएं एवं मान्यताएं हैं और आज हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं।
चलिए आपको बताते हैं कि बप्पा के बड़े पेट से जुड़ी क्या है कहानी...
भगवान शिव है बप्पा के बड़े पेट का कारण
मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने एक बार हंसी-हंसी में गणेश जी को लंबोदर कह दिया जिसका प्रभाव ऐसा हुआ कि गणेश जी का पेट लंबा हो गया है। हालांकि गणेश का बड़ा पेट खुशहाली और आनंद का प्रतीक माना जाता है।
माता पार्वती के लाडले थे बप्पा इसलिए...
वहीं ब्रह्म पुराण के अनुसार, भगवान गणेश माता पार्वती के लाडले थे। बप्पा को हमेशा इस बात का डर रहता था कि कर्तिकेय आकर माता का दूध न पी लें इसलिए वह दिनभर माता के आंचल में छुपकर दूध पीते रहते थे। उनकी इसी आदत के कारण भगवान शिव ने मजाक में कह दिया कि लंबोदर हो जाओगे। बस उसी दिन से गणपति बप्पा लंबोदर हो गए।
इसलिए भी कहलाते हैं लंबोदर
एक कहानी यह भी है कि भगवान इंद्र के साथ लड़ने के बाद बप्पा को बहुत भूख प्यास लगी, उन्होंने खूब सारे फल खाएं और गंगाजल पी लिया। इसके कारण उनका पेट बढ़ गया और उन्हें लंबोदर कहा जाने लगा। मान्यता है कि भगवान अपने बड़े पेट में हर अच्छी और बुरी बात को पचा लेते हैं और अपने भक्तों पर विपदा नहीं आने देते।
बड़े-बड़े कान है सौभाग्य का सूचक
गणेशजी के लंबे कान सौभाग्य के सूचक माने जाते हैं। गणेशजी के विशाल कर्ण के बारे में मान्यता है कि वह सभी भक्तों की प्रार्थना सुनते हैं और फिर उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, जिस व्यक्ति के कान बड़े होते हैं उसे विद्वान और भाग्यशाली माना जाता है। वहीं गणेशजी अपने लंबे कानों से यह संदेश देते हैं कि आधी बात मत सुनो, जो भी बात हो उसकी तह तक जाकर समझो। अक्सर अधूरी बात सुनने के कारण गलतफहमी होती है। गणेशजी यह समझाते हैं कि अधूरी बात जानकर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।
इसलिए हैं छोटी आंखें
दरअसल, गणेश जी की आंखों को सूक्ष्म और तीक्ष्ण दृष्टि का सूचक माना जाता है। यह अपने छोटे नेत्र के बावजूद दूर तक देखने की दृष्टि रखते हैं। इन्हें अपना भक्त कहीं से भी नजर आ जाता है और उसके कल्याण के लिए तत्पर रहते हैं।
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