एड्स एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है। इसे एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है। एचआईवी से संक्रमित होने वाला व्यक्ति जीवनभर के लिए वायरस से ग्रसित हो जाता है। इस रोगियों के लिए कुछ विशेष दवाईयां भी है जिसका सेवन करके रोगों को कम किया जा सकता है। एड्स को लेकर कई सारे मिथक और गलत जानकारियां भी लोगों को दी जाती है। रोग के प्रति दुनिया को जागरुक करने के लिए ही हर साल दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। लेकिन इस दिन को मनाने की शुरुआत कैसे और कब हुई आज आपको इसके बारे में बताएंगे। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में...
एड्स का इतिहास क्या है?
इस बीमारी की शुरुआत जानवरों से हुई थी। जानकारी के अनुसार, सबसे पहले 19वीं सदी में अफ्रीका में खास प्रजाति के बंदरों में एड्स नाम का वायरस पाया गया था। बंदरों में इस बीमारी का प्रसार भी इंसानों से ही हुआ था। अफ्रीका में बंदर खाए जाते थे। इसलिए ऐसा माना जाता था कि इंसानों में यह वायरस बंदर खाने के कारण पहुंचा था। 1920 में अफ्रीका के कांगों में एचआईवी संक्रमण का प्रसार हुआ था, जिसके बाद 1959 में एक आदमी के खून के नमूनों में सबसे पहले एचाईवी वायरस पाया गया था। इस संक्रमित व्यक्ति को ही एचआईवी का सबसे पहला मरीज माना जाता है। कांगों की राजधानी किंशासा यौन संबंध के माध्यम से एचआईवी का प्रसार हुआ था।
ये है एड्स का पुराना नाम?
पहली बार एड्स की पहचान 1981 में हुई थी। लॉस एंजेलिस के एक डॉक्टर ने पांच मरीजों में अलग-अलग तरह के निमोनिया का पहचाना था। इन मरीजों की इम्यूनिटी पॉवर अचानक से कमजोर पड़ गई थी। इनमें पांच लोगों समलैंगिक थे, जिसके बाद चिकित्सकों को लगा था कि यह बीमारी सिर्फ समलैगिंकों को ही होती है इसके बाद बीमारी को गे रिलेटेड इम्यून डिफिशिएंसी ग्रिड नाम दिया गया। लेकिन बाद में दूसरे लोगों में भी यह वायरस पाया गया था, तब जाकर 1982 में अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के द्वारा इस बीमारी को एड्स का नाम दिया गया था।
कब और क्यों मनाते हैं?
पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में विश्व एड्स दिवस मनाया था, जिसके बाद हर साल 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। इस दिन को मनाने के उद्देश्य है कि हर उम्र के वर्ग और लोगों के बीच एड्स के बारे में जागरुकता फैलाई जाए ।
यह है इस बार की थीम
हर साल एक तय थीम पर विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस बार विश्व एड्स दिवस को मनाने की थीम है 'Equalize' यानी की समानता। इस थीम के साथ समाज में फैली हुई असमानताओं के दूर करके एड्स को जड़ से खत्म करने के लिए कदम बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।