मां बनने के बाद महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। वहीं, डिलीवरी के बाद जो चीज सबसे ज्यादा खराब होती है वो है औरतों की नींद। शिशु की देखभाल, शारीरिक बदलाव और घर के कामों के चलते महिलाओं की नींद पूरी नहीं हो पाती। रिसर्च के मुताबिक, करीब 95% भारतीय महिलाओं को प्रसव के बाद अपनी नींद से समझौता करना पड़ता है। नतीजन , वह धीरे-धीरे अनिद्रा की शिकार हो जाती हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता।
प्रसव के बाद अनिद्रा से जल्दी आएगा बुढ़ापा
शोध की मानें तो ऐसी मांताओं को ना सिर्फ जल्दी बुढ़ापा आता है बल्कि उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने 23 से 45 साल की 33 महिलाओं पर शोध शोध किया जिसमें सामने आया कि प्रसव के बाद अपनी नींद से समझौता करने वाली महिलाओं में बुढ़ापे के लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं।
7 घंटे से कम सोने वाली मांओं को अधिक खतरा
वैज्ञानिकों ने पाया कि जो महिलाएं प्रसव के बाद 1 साल में कम से कम 6 महीने रात को 7 घंटे की नींद लेते हैं, उनमें बुढ़ापे के लक्षण अधिक सोने वाली महिलाओं से जल्दी दिखने लगते हैं।
जल्द मौत का जोखिम भी
जिन औरतों ने 7 घंटे से कम नींद ली, उनके शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स में टेलोमेयर का आकार छोटा पाया गया। अगर टेलोमेयर छोटा हो जाए तो इससे कैंसर, हार्ट डिसीज, रक्त विकार और कई रोगों का जोखिम रहता है। साथ ही इससे जल्दी मौत होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
हार्मोन्स में भी हो सकती है गड़बड़ी
डिलीवरी के बाद हार्मोन्स में गड़बड़ी की एक बड़ी वजह नींद की कमी भी है। दरअसल, अच्छी तरह नींद ना लेने से शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम हो जाता है। इससे डिप्रेशन सहित कई मानसिक व शारीरिक विकारों का खतरा रहता है।
कब हो सकती है अनिद्रा की समस्या?
वहीं, प्रसव के बाद शरीर से कुछ हार्मोन्स फ्लूइड्स के जरिए बाहर निकल जाते हैं, जिससे रात के समय पसीना अधिक आता है। साथ ही इससे नींग में भी बाधा पड़ती है। शोधकर्ताओं के अनुसार, 60% औरतों को प्रेगनेंसी के करीब 32वें और डिलीवरी के बाद करीब 8 हफ्ते तक नींद ना आने की समस्या हो सकती है।
शोधकर्ताओं की मांओं को सलाह
डिलीवरी के बाद सभी महिलाओं को कम से कम 7 घंटे की नींद लेनी चाहिए। ऐसे में जब भी बच्चा सोया हो तो आपको उसके साथ एक झपकी लेनी चाहिए।