एक समय वो था जब महिलाओं को घर की चार दीवारों में रखा जाता था। उसे अपने सपने पूरे करने के लिए और अपने भविष्य के लिए आगे नहीं बढ़ने दिया जाता था। औरत का अर्थ होता था जो घर संभाल सके। वो दौर भी लड़कियों ने देखा है जब उन्हें यह कहा जाता था कि तुम इतना पढ़ लिख क्या करोगी? आखिर होनी तो तुम्हारी शादी ही है लेकिन क्या एक औरत को हमेशा दूसरों पर ही डिपेंड रहना चाहिए? क्या उसे आजादी की और अपने पैरों पर खड़े होने की जरूरत नहीं? हालांकि आज तो समय काफी बदल गया है। आज न सिर्फ महिलाएं घर बार बल्कि हर एक काम को पूरी शिद्दत के साथ कर रही हैं और भारत का नाम रोशन कर रही हैं।
आज महिलाएं कारखाने और मशीनरी क्षेत्र में भी अपना परचम लहरा रही हैं और इस क्षेत्र में पुरूषों के साथ कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। 2019 के अंत में निशा रानी ने स्वराज ट्रैक्टर को ज्वाइन किया था और वह असेंब्ली लाइन पर काम करती है यानि यह तरीके का प्रोडक्शन प्रोसेस होता है। निशा की मानें तो यह उनकी जिंदगी का सबसे सही निर्णय था। निशा के साथ ही सन्तोषी मियां जो लाइट मशीन शॉप में काम करती हैं उनकी मानें तो स्वराज ट्रेक्टर उनके लिए दूसरा घर है।
बता दें कि एम जी मोटर्स ने हाल ही में एमजी मोटर्स ने अपने प्लांट से अपने 50,000 हेक्टर को हलोल गुजारत में उतारा है जो पूर्ण रूप से महिलाओं द्वारा ही बना है। यहां महिलाएं शीट मेटल के काम से लेकर वेल्डिंग तक सब काम करती हैं। एम जी मोटर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव छाबा ने कहा कि इस कदम से देश विदेशों को महिलाओं को ऑटोमोबाइल उद्योग ज्वाइन करने के लिए प्रेरणा मिलेगी।
आज के समय में महिलाएं दूसरे क्षेत्रों के साथ-साथ ऑटोमोबाइल उद्योग में भी आगे आई हैं और वह कार, ट्रेक्टर और ट्रक से लेकर बहुत सारे कंपोनेट बना रही हैं। इनमें से टाटा मोटर्स कंपनी, मोहिंदरा कंपनी, एम जी मोटर कंपनी और बहुत सारी कंपनियां शामिल हैं जहां महिलाएं इस काम से अपनी छाप छोड़ रही हैं।
एमजी मोटर के पास 380 के करीब महिलाएं हैं जो शॉपफ्लोर पर काम करती हैं। स्वराज ट्रैक्टर में महिलाएं ट्रेक्टर मैनुफेक्चिंग पर काम करती हैं। मशीनिंग में, पेटिंग में, हीट ट्रीटमेंट और सभी अन्य काम भी देखती हैं।
वहीं डेमलर इंडिया कमर्शियल व्हीकल्स (Daimler india commercial vehicles) ने भी तरीबन 46 महिलाएं हायर की हैं। टाटा मोटर्स के पास भी वर्किंग वुमन का स्टाफ है जो पेंट से लेकर फाइनल असेंबल करने तक का सारा काम करती हैं। महिलाएं यहां समय समय पर हर रोल निभाती हैं कभी इंस्पेक्शन ककने का तो कभी मटीरियल को मेटेंन करने का।
इस क्षेत्र में अब महिलाएं आगे आने लगी हैं और 2016-17 के बीच में इस काम में महिलाओं को लेकर काफी प्रगति भी देखी गई है। टाटा मोटर्स की बात करें तो वर्तमान में टाटा मोर्टस के पास 1800 महिलाएं हैं जो काम कर रही हैं। वहीं prima truck assembly line Jamshedpur में भी महिलाओं का ही स्टाफ है जो फिटिंग से लेकर टेस्टिंग तक हर काम करती हैं। वहीं टाटा मोटर्स के पास भी 650 वुमन है जो शॉप फ्लोर पर काम कर रही हैं।
toyota kirloskar motor के प्रोडक्शन सपोर्ट के लिए महिलाएं ही काम करती हैं। वहीं जब एमजी मोटर्स गांव में महिलाओं को हायर करने के लिए गया तो ट्रेनिंग के बाद महिलाओं का काम पुरूषों से भी ज्यादा अच्छा था। महिलाएं शॉपफ्लोर के काम में इसलिए भी आगे हैं क्योंकि वह इस काम में अनुशासन को अपनाती हैं। वहीं शॉपफ्लोर पर मशीनरी का इस्तेमाल करना और रोबट का इस्तेमाल करने से महिलाओं के इस काम में काफी निखार आया है।
वहीं बात इंटेंसिव महिलाओं की करें तो ऑटोमोबाइल कंपनियों ने उनके लिए ओफर बेनेफिट की शुरूआत की है जैसे कि फ्री फूड देना, यूनिफॉर्म देना और मेडिल केयर प्रदान करना, बस की कन्वेंस देना और फ्रेशर महिलाओं के लिए शुरूआती सेलेरी 15 हजार से 16 हजार रूपए पर महीने की है। इस में एक बात यह खास है कि महिला और पुरूष स्टाफ की सेलेरी एक समान है।
लेकिन वहीं कुछ कंपनीस ऐसी हैं जो महिलाओं को इस काम के लिए एनकेरेज नहीं करती हैं। इन्हीं में से हैं मारुति सुजुकीऔर हुंडई मोटर कंपनी इसका कारण है कि फेक्ट्री की शिफ्ट बहुत जल्दी शुरू होती है और रात को काफी देर तक खत्म होती है जो महिलाओं के लिए आदर्श नहीं है।