नारी डेस्क: जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है, लेकिन मृत्यु के बाद का सफर कैसा होगा इस बात को लेकर दुनिया भर में कई मान्यताएं हैं। अक्सर देखा जाता है कि हिंदू धर्म में मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में गंगाजल और तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं। इस परंपरा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसका उद्देश्य व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति और पापों से मुक्ति दिलाना है। इसके पीछे कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं।
पवित्रता और शुद्धिकरण
गंगा नदी को हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना गया है। ऐसा माना जाता है कि गंगाजल व्यक्ति के पापों को धो देता है और उसे शुद्ध करता है। मृत्यु के समय गंगाजल के सेवन से व्यक्ति की आत्मा पवित्र होती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति में सहायता मिलती है।वहीं तुलसी को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है। तुलसी के पत्तों को मृत व्यक्ति के मुंह में डालने का अर्थ है कि उसकी आत्मा को भगवान विष्णु के श्रीचरणों में स्थान प्राप्त हो और उसे मोक्ष मिल सके।
आध्यात्मिक शक्ति
गंगाजल और तुलसी दोनों में आध्यात्मिक शक्तियां मानी जाती हैं। तुलसी के पत्ते और गंगाजल का सेवन व्यक्ति को आत्मिक शांति और भगवान के साथ संपर्क में आने में मदद करता है। गंगाजल और तुलसी के सेवन से व्यक्ति के मन में शांति और भक्ति का भाव जागृत होता है। यह उसे मृत्यु के समय भी भगवान की याद दिलाता है, जिससे उसकी आत्मा को शांति मिलती है।
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के समय गंगाजल और तुलसी का सेवन करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसकी आत्मा स्वर्ग की ओर प्रस्थान करती है। यह परंपरा व्यक्ति के जीवन के अंतिम क्षणों में उसकी आत्मा को पवित्र और भगवान के समीप पहुंचाने का प्रयास करती है। यह हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रथा है जो मृत्यु के समय भी व्यक्ति को धर्म और अध्यात्म से जुड़े रहने का संदेश देती है।