हम चाहें कितने भी मॉडर्न हो जाएं लेकिन आज भी बेटी से ज्यादा बेटे के जन्म की खुशियां मनाई जाती है। जब किसी महिला के घर बेटे का जन्म होता है तो कहा जाता है कि वह किस्मत वाली है। पर बहुत से लोग आने वाले वक्त से अंजान हैं, हम यह भूल रहे हैं कि आज सैंकड़ों बूढ़े मां- बाप बेटों के कारण दर- दर की ठोकरें खा रहे हैं। हमारा मकसद बेटों को बुरा ठहराना नहीं है बल्कि ये बताना है कि बच्च के मोह में अंधे नहीं बनना चाहिए।
सोशल मीडिया पर बहुत से ऐसे वीडियो देखने को मिल जाते हैं जहां मां- बाप अपने दर्द बयां करते नजर आते हैं। कई बार हमने लोगों के मुंह से सुना है कि बहू के आने से उनका बेटा बदल गया और उन्हें घर से निकाल दिया या फिर खुद उन्हें अकेला छोड़कर घर से चला गया। हमारा सवाल यह है कि क्या इस सब की कसूरवार बहू ही है, बेटे की कोई गलती नहीं होती?
मां ने बेटे को जन्म दिया है बचपन से लेकर अब तक उसके साथ रही है, हर सुख- दुख में उसका साथ दिया है पर जो लड़की बहू बनकर उनके घर आई है वह तो उनके बारे में उतना नहीं जानती होगी जितना बेटा जानता है। तो एक लड़की के कहने पर वह अपनी मां को कैसे छोड़ सकता है, जबकि उसकी पत्नी उसके कहने पर कभी भी अपने मां- बाप को नहीं छोड़ती है। तो इसमें कसूर लड़के का ही हुआ, जिसने अपनी मां के दूध की लाज नहीं रखी उससे अच्छे- बुरे की क्या उम्मीद रख सकते हैं।
वो कहते हैं बच्चा जितना भी बुरा कर ले पर एक मां उसका कभी बुरा नहीं चाह सकती। तो ऐसे में हमारी तो यही सलाह है कि अगर आप बेटे को बुरा नहीं कहना चाहती तो पर फिर दूसरे घर से आई लड़की को भी बुरा मत कहिए। क्योंकि मां-बाप की जिम्मेदारी बेटे की है बहू की नहीं। यह उसका फर्ज है कि वह सभी को बराबर सम्मान दे ना कि एक रिश्ता संभालने के लिए बाकी सारे रिश्ते तोड़ दे।
जब एक लड़की अपने ससुराल के साथ- साथ मायका भी संभाल सकती है तो लड़के ऐसा क्यों नहीं कर पाते। क्यों हर बार वह यह कहकर पल्ला झाड़ देते हैं कि वह सुख-शांति बनाए रखने के लिए अपने मां- बाप से अलग हो रहा है। इन लड़कों से हमारा यह सवाल है कि जब बचपन में वह अपने भाई- बहन से लड़ते थे तो मां- बाप ने तो कभी यह नहीं सोचा कि लड़ाई-झगड़ा खत्म करने के लिए एक को घर से बाहर निकाल देते हैं। इसलिए अपनी गलती स्वीकारो और जिस मां के कोख से पैदा होकर दुनिया में आए हो कम से कम उसका तो सम्मान करो।