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Karwa Chauth पर छलनी से ही क्यों देखा जाता है चांद?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 21 Oct, 2021 04:09 PM
Karwa Chauth पर छलनी से ही क्यों देखा जाता है चांद?

करवा चौथ का पर्व पूरे भारत में उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है, जो हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर आता है। इस दौरान महिलाएं भूखी-प्यासी रहकर पति की लंबी उम्र का कामना करती हैं। फिर रात के समय चांद देखकर व्रत खोलती हैं। हमने बचपन से अपनी माताओं और बहनों को छलनी से देखते हुए चंद्रमा की पूजा करते देखा है लेकिन आप जानते हैं कि ऐसा क्यों... आखिर महिलाएं छलनी से चांद के दर्शन करने के बाद व्रत क्यों खोलती हैं।

महिलाएं क्यों देखती हैं छलनी से चांद?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा को ब्रह्मा का रूप कहा जाता, जो सुंदरता, सहनशीलता और प्रेम का प्रतीक है। ऐसे में जब महिलाएं छलनी से चांद देखने के बाद अपने पति को देखती हैं तो उनमें भी वह गुण आ जाते हैं।

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भगवान गणेश का रूप करवा चौथ का चांद

मान्यता के अनुसार, करवा चौथ का चंद्रमा 'कार्तिक का चंद्रमा है', जिसे भगवान शिव और उनके पुत्र भगवान गणेश का एक रूप माना जाता है। उत्तर भारत में महिलाएं बड़ों के सम्मान के प्रतीक के रूप में घूंघट पहनती हैं इसलिए विवाहित महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखकर उन्हें सम्मान देती हैं। माता करवा की कथा सुनने के साथ इस दिन भगवान गणेश की कथा भी जरूर सुनें।

सुख और अच्छाई का प्रतीक

एक और मान्यता यह है कि महिलाएं करवा चौथ के चंद्रमा की छननी से निकलने वाली किरणों के माध्यम से उसके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करती हैं। छनी हुई किरणें जीवन में केवल सुख और अच्छाई के आशीर्वाद का प्रतीक हैं।

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छल से बचने के लिए छलनी का इस्तेमाल

पौराणिक कथा के अनुसार, 7 भाईयों की लाडली बहन जब शादी के बाद अपनी पहला करवा चौथ व्रत रखती हैं तो भूख-प्यास से उसका बुरा हाल हो जाता है। भाईयों से उसकी ये हालत देखी नहीं जाती और वह पेड़ पर एक दीया रख देते हैं और अपनी बहन को कहते हैं कि चांद निकल आया। बहन दीए की लौह को चांद समझ व्रत खोल लेती हैं। व्रत भंग होने के कारण उसका पति मर जाता है। तब वह अपनी भूल सुधारने के लिए पूरे साल चतुर्थी का व्रत करती है।

किसी भी प्रकार के धोखे से बचने के लिए उन्होंने स्वयं चंद्र देव को हाथ में छलनी लिए हुए देखा और उसमें दीपक रख दिया। इसके बाद उसका पति जीवित हो गया। कहा जाता है कि तभी से हाथ में चलनी लेकर चांद को देखने की प्रथा शुरू हो गई।

उतर जाती है बुरी नजर

ऐसा कहा जाता है कि जब महिलाएं छलनी से चांद देखने के बाद पति का चेहरा देखती हैं तो दीए की लौह के साथ उनकी बुरी नजर और सारी बलाएं भी उतर जाती हैं। वहीं, दीपक की पवित्र रोशनी से पति-पत्नी का रिश्ता भी बेहतर होता है।

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