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Karwa Chauth 2020: सुहागन महिलाएं छलनी से ही क्यों देखती हैं पिया का चेहरा?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 04 Nov, 2020 02:37 PM
Karwa Chauth 2020: सुहागन महिलाएं छलनी से ही क्यों देखती हैं पिया का चेहरा?

हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर करवा चौथ का व्रत रखता जाता है। महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु और अच्छी सेहत की मनोकामना के लिए कठिन निर्जला करवा चौथ व्रत करती हैं। दिनभर भूखी प्यासी महिलाएं रात को छलनी से चांद देखकर व्रत खोलती हैं। मगर, क्या आप जानते हैं कि इस दिन चांद को देखने के लिए छलनी का इस्तेमाल क्यों किया जाता है।

महिलाएं क्यों देखती हैं छलनी से चांद?

सुंदरता, सहनशीलता और प्रेम से समृद्ध चंद्रमा को ब्रह्मा का रूप कहा जाता है, जिन्हें लंबी आयु का भी वरदान है। मान्यताओं के मुताबिक, जब सुहागिन महिलाएं चांद को छलनी से देखने के बाद अपने पिया का चेहरा देखती हैं तो उनमें भी वह गुण आ जाते हैं।

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छल से बचने के लिए छलनी का इस्तेमाल

कथा के अनुसार, वीरवती नाम कीएक लड़की शादी के बाद अपना पहली करवा चौथ मायके में रखती हैं लेकिन उसके 7 भाईयों से उसकी भूख बर्दाश्त नहीं होती इसलिए भाई उसे स्नेहवश दूर से आग जलाकर झूठा चांद दिखा देते हैं। इससे उसका व्रत भंग हो जाता है और अपनी भूल सुधारने के लिए वह पूरे साल चतुर्थी का व्रत करती है। करवा चौथ व्रत पर पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य छननी से चंद्र और अपने पति का चेहरा देखती हैं। इससे माता करवा चौथ उसकी मनोकामना पूरी करती हैं। छननी से चांद इसलिए देखा जाता है, ताकि पतिव्रत महिला से कोई छल न कर पाए। यही वजह है कि छल से बचने के लिए महिलाएं करवा चौथ थाली में पूजा की साम्रगी, छोटे मटके में पानी के साथ छलनी जरूर रखती हैं।

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बेहतर रिश्ते की कामना

चांद निकलने पर औरतें छलनी में दीया रखकर पहले चांद और फिर पति का चेहरा देखती हैं। ऐसी भी मान्यता है कि जब महिलाएं छलनी में दीया रखकर चांद और फिर पति का चेहरा देखती हैं तो उससे निकलने वाली लौह से सारी बुरी नजर उतर जाती है। साथ ही दीपक की पवित्र रोशनी जब पार्टनर के चेहरे पर पड़ती है तो पति-पत्नी का रिश्ता बेहतर होता है।

भगवान गणेश की कथा सुनना फलदायी

करवा चौथ पर माता की कथा सुनने के साथ भगवान गणेश की कथा सुनना भी फलदायी माना जाता है। गणेश जी की कथा सुनें बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है क्योंकि इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी होती है, जिससे सभी संकट मुक्ति हो जाते हैं।

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