भारत में लड़कियों की शादी को लेकर अलग ही धारणा बनी हुई है। हर मां- बाप को बस यही चिंता सताती रहती है कि उनकी बेटी जल्द से जल्द शादी करके अपने घर में बस लाए। यही कारण है कि आज भी हजारों लड़कियों की शादी 18 की उम्र के पहले ही कर दी जाती है। कुछ लड़कियां भी शादी को लेकर बचपन से ही सपने सजाने लगती हैं, लेकिन वह इस चीज से अंजान होती हैं कि असली जिंदगी सपनों की दुनिया से बहुत अलग होती है।
शादी के बाद बदल जाती है जिंदगी
हम यह नहीं कहते कि शादी के बाद जिंदगी बेकार हो जाती है पर एक लड़की के लिए चीजें आसान नहीं होती। क्योंकि शादी के बाद ससुराल में कदम रखते ही उससे बहुत से उम्मीदें कर ली जाती हैं। सजने- संवरने के लेकर बच्चा संभालने तक महिलाओं को अपने नहीं दुनिया के हिसाब से चलना पड़ता है। शायद यही कारण है कि अब लड़कियां शादी करने से भागने लगी हैं। अगर वक्त रहते हमने अपनी सोच नहीं बदली तो हालात और बिगड़ जाएंगे। चलिए आज बताते हैं कि एक शादीशुदा महिला को किन- किन चीजों से मिलने चाहिए आजादी ।
बिंदी- सिंदूर को लेकर ना मारे ताने
"ना बिंदी लगाई है ना सिंदूर भरा है यह कैसी महिला है" अकसर हमने कहीं ना कहीं इस तरह की बातें सुनी हाेंगे, क्योंकि हमारे समाज का मानना है कि जो महिला बिंदी- सिंदूर नहीं लगाती वह अपनी शादी का अपमान करती है। कहा जाता है कि सिंदूर ही किसी सुहागन की पहचान होती है। याद हो कि हाल ही में कियारा अडवाणाी को भी बिंदी- सिंदूर ना लगाने के चलते लोगों की खूब सुननी पड़ी थी। इन सब में हम यह क्यों भूल जाते हैं कि इन चीजों से ही शादी नहीं टिकती हैं बल्कि आपस में प्यार, सम्मान से रिश्ता मजबूत होता है। हालांकि विधवा और तलाकशुदा महिलाओं के लिए नियम कुछ अलग हैं, उनके लिए तो बिंदी लगाना भी पाप मान लिया जाता है। पर इन सब चीजों पर अपनी राय देकर हमें समय की बर्बादी कर रहे हैं।
उन्हें करियर पर भी ध्यान देनें दें
बहुत सी औरतों को लगता है कि शादी के बाद उनका करियर तबाह हो जाएगा। शादी के बाद परिवार और बच्चों से अलग होकर घर के बाहर निकलकर जॉब करना भारत जैसे शहर में थोड़ा मुश्किल है। क्योंकि अगर महिला जैसे- तैसे इन सब चीजों को मैनेज कर भी ले लेकिन समाज कहां जीने देगा। कुछ लोगों का मानना है कि अगर लड़की करियर पर ध्यान देगी तो परिवार बिखर जाएगा, ऐसे में उन पर किसी ना किसी बहाने अपने सपने तोड़ने का दबाब डाल ही दिया जाता है। इन तानों से बचने के लिए कई महिलाएं शादी के बाद ही अपने सपने से ब्रेक लेकर गृहस्थ जीवन में सेटल होने की कोशिश में लग जाती है। पर सवाल यह कि जब औरतों को बच्चे, परिवार और करियर को एक साथ संभलने में कोई दिक्कत नहीं है तो लोगों को क्याें इतनी तकलीफ है?
अकेले मां ही क्यों संभाले बच्चा?
जब घर में बच्चा पैदा होता है तो खुशियां पूरा परिवार मनाता है पर जब वह किसी तकलीफ में होता है तो उस समय सिर्फ मां से ही क्यों उम्मीद की जाती हैं कि वह अपने बच्चा का ख्याल रखे। अगर बच्चे की मां वहां मौजूद नहीं है तो बाकी लोग भी उसकी देखरख कर सकते हैं। पहले जमाना और था तब महिलाएं कमाती नहीं थी घर पर ही रहती थी लेकिन अब महिलाएं बराबर कमाती हैं तो बच्चों की संभालने की जिम्मेदारी भी मा- बाप दोनों की होनी चाहिए। हालांकि कुछ घरों में बच्चों की जिम्मेदारी पूरा परिवार उठाता है अगर ऐसा सभी घर में होने लग जाए तो जिंदगी कितनी आसान हां जाएगी।
फैमिली फंक्शन के लिए ना बनाएं दबाव
काम की जिम्मेदारी के चलते अकसर वर्किंग वूमेन फैमिली फंक्शन का हिस्सा नहीं बन पाती, जो उनके परिवार वालों को मंजूर नहीं होता। घर की बहू पर दबाव डाल दिया जाता है कि वह कुछ भी करे लेकिन फंक्शन में जरूर शामिल होए। ऐसे में महिलाएं के लिए बेहद मुश्किल हालात पैदा हो जाते हैं। परिवार वाले यह क्यों नहीं साेचते ही लड़की नौकरी भी तो परिवार के लिए ही कर रही है, अगर हम उनका काम नहीं बांट सकते तो कम से कम उस पर दबाव भी तो मत डालें। दिखावे के लिए अगर फैमिली फंक्शन में शामिल हो भी जाए पर मन से खुश ना हो तो इस सब का क्या फायदा।
शादी के बाद भी मायके वालों का ख्याल रख सकती है लड़की
जब लड़की अपना मायका छोड़कर ससुराल जाती है तो उससे उम्मीद की जाती है कि वह सिर्फ पति के परिवार पर ही ध्यान दे। अगर कोई लड़की शादी के बाद अपने माता- पिता के लिए कुछ करना चाहे तो उसे सुना दिया जाता है कि इस घर पर ध्यान दो वो अब तुम्हारा घर नहीं है। जिस घर में वह पली- बढ़ी है उस घर से उसका नाता कोई कैसे तोड़ सकता है। पति के परिवार का अगर पत्नी ख्याल रख रही है तो पति का भी फर्ज है कि वह भी अपने ससुराल वालों पर ध्यान दे। हर मां- बाप को मान- सम्मान का हक है चाहे वह लड़की के हों या लड़के के।