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'दिल्ली का लाल किला मेरा है...' कौन है वारिस होने का दावा कर रही Sultana Begum

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 22 Dec, 2021 02:30 PM
'दिल्ली का लाल किला मेरा है...' कौन है वारिस होने का दावा कर रही Sultana Begum

हाल ही में एक अजीबोगरीब के सामने आया जब एक महिला लाल किले पर अपना मालिकाना हक जताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट जा पहुंची। हालांकि दिल्ली कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिच कर दिया है। चलिए आपको बताते हैं दिल्ली के लाल किले पर अपना हक बताने वाली सुल्ताना बेगम...

दिल्ली में लाल किला पर मालिकाना हक जताने वाली सुल्ताना बेगम के वकील ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह 67 वर्षीय सुल्ताना बेगम अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर-ll के पड़पोते की विधवा हैं, जो फिलहाल कोलकाता में रहती हैं। याचिकाकर्ता के मुताबिक, मुगल शासक को लाल किले से जबरदस्ती निकालकर 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना कब्जा कर लिया था। उसके बाद भारतीय सरकार उनके पूर्वजों की संपत्ति पर कब्जा कर बैठीं। अब वह लाल किले पर वापिस अपने कब्जे की मांग कर रही हैं।

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Delhi HC ने पूछा- 150 साल से कहां थे?

बता दें कि दिल्ली का लाल किला मुगलों ने बनवाया था, जिसने आखिरी शासक बहादुर शाह जफर द्वितीय थे। उनके बाद अंग्रेजों ने इसपर अपना हक जमा लिया लेकिन आजादी के बाद वह भारतीय धरोहर बन गया, जिसे SSI संरक्षित कर रहा है। लाल किले पर अपना मालिकाना हद जताने वाली महिला से कोर्ट ने सवाल किया है कि वो 150 सालों से कहां थीं और उसी समय आपने मुकदमा दायर क्यों नहीं किया?

कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की थी?

कोर्ट का कहना है कि आपके मुताबिक, यह सब 1857 और 1947 के बीच हुआ। भले ही याचिकाकर्ता अशिक्षित है लेकिन उसके पूर्वजों ने उसी समय या उसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की थी? न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने इसी आधार पर उनकी याचिका खारिज कर दी।

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निर्वासित कर परिवार सहित रंगून भिजवा दिया था

दाखिल याचिका में बेगम की ओर से एडवोकेट विवेक मोर ने कहा कि ब्रिटिश इंस्ट इंडिया कंपनी ने 1857 में दिल्ली के बादशाह बहादुर शाह जफर-ll से उनका सारा राज-पाठ छीनकर सारी संपत्ति पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद अंग्रेजों ने जफर को राजद्रोही करार देते हुए परिवार सहित रंगून भेज दिया।

एडवोकेट विवेक ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से उन्हें हर महीने ₹6000 की पेंशन मिलती है। यह पेशेंन पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने शुरू की थी। याचिका खारिच होने के बाद अब वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

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