कोरोना वायरस की दूसरी लहर से बचाव के लिए देश में वैक्सीनेशन अभियान जोरो पर है। इस समय लोगों को कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन लगाई जा रही हैं। हालांकि इस बीच कुछ लोग ऐसे हैं जो इस दुविधा में है कि वे कौन सी वैक्सीन लगवाना सही है। इस बीच मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर का कहना है कि वैज्ञानिक रूप से दोनों वैक्सीन के बीच किसी तरह की तुलना नहीं की जा सकती।
मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर के मुताबिक कोविशील्ड और कोवैक्सीन कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने और उससे बचाव के लिए कारगर है। केंद्र का कहना है कि लोग इन दोनों में से किसी भी वैक्सीन का चुनाव कर सकते हैं। इसे लेकर प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया ने एक ट्वीट भी किया है।
जानें कोविशील्ड और कोवैक्सीन में अंतर
कोविशील्ड
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की इस वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया है। इसे एडिनोवायरस को खत्म करने के लिए विकसित किया गया है। इससे पहले चिंपैजी में आम सर्दी- जुकाम करने वाले निष्क्रिय एडिनोवायरस के ऊपर SARS-CoV-2 की स्पाइन प्रोटीन का जेनेटिक मेटेरियल लगाकर इसे बनाया गया है। इस वैक्सीन का डोज से हल्का दर्द, बुखार, बदन दर्द जैसी समस्या हो सकती है। वहीं कुछ मामलों में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या भी सामने आई है।
कीमत
इस वैक्सीन को राज्य 400 रुपये में और निजी अस्पतालों 600 रुपये में खरीद सकते हैं। वहीं केंद्र सरकार इसकी एक डोज की कीमत 150 रुपये रखी है।
कोवैक्सीन
वही बात कोवैक्सीन की करें तो भारतीय कंपनी भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाया गया है। इसमें मौजूद इम्यून सेल्स कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करने के लिए इम्यून सिस्टम को प्रोम्पट यानी प्रेरित करने में मदद करती है। इसे डेड वायरस से बनाया गया है जो शरीर में जाकर एंटीबॉडी बनाते हैं। यह वैक्सीन कोरोना के सभी वेरिएंट्स पर असरदार मानी जा रही है। इस वैक्सीन की डोज लेने पर सूजन, ठंड लगना, दर्द, बुखार, सिरदर्द जैसी समस्याएं आ सकती हैं।
कीमत
यह राज्यों द्वारा 600 रुपए और निजी (प्राइवेट) अस्पतालों को 1,200 रुपए में मिलेगी। वहीं केंद्र सरकार इस वैक्सीन को 150 रुपये पर खरीद सकता है।