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घर की छत बनवाने से पहले जान लें इससे जुड़े वास्तु टिप्स

  • Edited By neetu,
  • Updated: 24 Oct, 2020 07:10 PM
घर की छत बनवाने से पहले जान लें इससे जुड़े वास्तु टिप्स

लोग घर को अंदर से सजाने के साथ छत भी अलग तरीकों से बनवाना पसंद करते हैं। मगर बात हम वास्तु की करें तो इससे भी घर- परिवार के लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इससे उनकी सेहत बरकरार रहने के साथ तरक्की के रास्ते खुलते हैं। तो चलिए आज हम आपको छत की प्रकार के मुताबिक उससे होने वाले प्रभाव के बारे में बताते हैं। तो चलिए पहले जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...

3 प्रकार की होती है छत

आमतौर पर छत 3 प्रकार की होती है। सपाट, ढालू और गोल आकार। जिन घरों में सपाट छत होती है। वह काफी मंजिलों का बनाया जा सकता है। मगर इसके विपरित ढालू छत पर मंजिल नहीं बन सकती है। तो चलिए जानते हैं इससे जुड़े वास्तु टिप्स... 

इस दिशा में हो छत की ढलान 

बात अगर शहरों की करें तो लोग अपने घरों में छत की ढलान सीधे व सपाट बनाना पसंद करते हैं।  मगर वास्तु के अनुसार, इसकी दिशा पर भी कास ध्यान देने की जरूरत होती है। ऐसे में छत की ढलान हमेशा उत्तर- पूर्व दिशा की ओर होनी शुभ मानी जाती है। इसके अलावा अगर किसी का घर पश्चिम या दक्षिणमुखी बना हो तो ऐसे में छत की ढलान वास्तु के मुताबिक बनाने के लिए जरूरत होती है। 

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छत की दीवार पर न हो खाली जगह 

अक्सर लोग घर की छत बनवाते समय दीवार पर उजालदान बनाते हैं। मगर वास्तु के अनुसार, छत पर कोई खाली जगह नहीं छोड़नी चाहिए। इससे घर में दबाव बढ़ने से परिवार वालों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। खासतौर पर दिमाग पर इसका असर पड़ता है। 

न बनवाएं तिरछी छत 

घर की छत को कभी भी तिरछा नहीं बनवाना चाहिए। इससे घर के सदस्यों के दिमाग पर बुरा असर होने के साथ डिप्रेशन व सेहत से जुड़ी अन्य परेशानियां हो सकती है। 

छत की ऊंचाई का भी रखें ध्यान 

छत के डिजाइन के साथ उसकी ऊंचाई भी बेहद मायने रखती है। अगर छत की ऊंचाई 8.5 फुट से कम होगी तो इससे जीवन से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही तरक्की के रास्ते में बांधा उत्पन्न होती है। इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए छत की ऊंचाई 10-12 फुट या इससे ऊंची रखें। 

सही दिशा में रखें पानी की टंकी

आमतौर पर पानी की टंकी घर की छत पर रखी जाती है। मगर इसे किसी भी दिशा में रखने की गलती न करें। अगर आप उत्तर- पूर्व दिशा में इसे रखते हैं तो इससे तनाव बढ़ने के साथ बच्चों की एकाग्रता शक्ति कमजोर होती है। ऐसे में उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता है। इसके अलावा दक्षिण- पूर्व दिशा अग्नि देव की दिशा होती है। ऐसे में पानी और अग्नि का कोई मेल न होने से यहां पर इसे रखना वास्तुदोष होने का कारण बनता है। पानी का उचित प्रबंध दक्षिण- पश्चिम यानि नैऋत्य कोण में होना शुभ माना जाता है। ऐसे में पानी व भारी चीजों का इस दिशा में रखना चाहिए। 

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साफ- सफाई का रखें ध्यान 

अक्सर लोग घर का बेकार सामान छत पर रख देते हैं। इससे नकारात्मक ऊर्जा फैलने से घर के सदस्यों में लड़ाई- झगड़े होने का खतरा रहता है। ऐसे में घर की साफ- सफाई के साथ छत की सफाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। 

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