भगवान शिव की प्रसिद्धि से तो हर कोई भली-भांति परिचित है। सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उनके काफी भक्त हैं। उनके भक्त भगवान शिव की पत्नी और बच्चों के बारे में जानते होंगे लेकिन भगवान शिव के बड़े से बड़े भक्त भी यह नहीं जानते होंगे कि उनकी एक बड़ी बहन भी हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि भगवान शिव तो अजन्में और अनादि हैं फिर उनकी कोई बहन कैसे हो सकती है। चलिए आपको बताते हैं इससे जुड़ी रोचक कहानी...
एक पौराणिक कथा में है भगवान शिव की बहन का वर्णन
पौराणिक कथा के अनुसार, शादी के बाद जब माता पार्वती कैलाश आई तब वह काफी अकेला महसूस करती थी। उन्हें माता-पिता का दुलार, बहनें, सखी-सहेलियां बहुत याद आती थी। उनके मन में यही ख्याल आता था कि अगर उनकी कोई ननद होती तो उनका मन लगा रहता।
माता पार्वती को थी एक ननद की चाह
अन्तर्यामी भगवान शिव ने माता पार्वती के मन की बात जान ली। जब भगवान शिव ने माता पार्वती से पूछा कि क्या कोई समस्या है तब उन्होंने कहा कि काश उनकी कोई ननद होती, जिससे वह अपने मन की बात कह पाती। तब भगवान शिव ने कहा मैं तुम्हें ननद लाकर दूंगा लेकिन क्या आपकी उनके साथ बनेगी। पार्वती जी ने कहा कि भला मेरी ननद के साथ क्यों नहीं बनेगी। ऐसे में भगवान शिव ने एक देवी को उत्पन्न करके कहा कि यह लो तुम्हारी ननद आ गई, जिसका नाम असावरी देवी है।
असावरी देवी की हुई उत्पत्ति
माता पार्वती अपनी ननद को देखकर काफी प्रसन्न हुआ और देवी असावरी को स्नान करवाने ले गई और फिर आकर भोजन करवाया। जब असावरी देवी भोजन करने बैठी तो वह भंडारघर का सारा भोजन खा गई और महादेव के लिए कुछ भी नहीं बचा। इससे देवी पार्वती दुखी हो गई। इसके बाद जब उन्होंने देवी असावरी को पहनने के लिए नए वस्त्र दिए तो वह छोटे पड़ गए क्योंकि वह काफी मोटी थी।
एक ही दिन में दिला दिया था माता पार्वती को गुस्सा
इसी बीच ननद को मजाक सूझा और उन्होंने माता पार्वती को अपने पैरों की दरारों में छिपा लिया। माता पार्वती का दम घुटने लगा तभी वहां महादेव आ गए और उन्हें माता के बारे में पूछा। इसपर असावरी देवी ने भगवान शिव से झूठ कह दिया। मगर, जब भगवान शिव ने कहा कहीं ये तुम्हारी शरारत तो नहीं , तब देवी असावरी हंसने लगी और जमीन पर पांव पटक माता पार्वती को बाहर निकाला।
जब माता पार्वती बाहर आ गिरी तो वह गुस्से में लाल हो गई और उन्होंने असावरी देवी को उनके ससुराल भेजने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि ननद की चाह करके मुझसे भूल हो गई। इसके बाद भगवान शिव ने देवी असावरी को कैलाश से हमेशा के लिए विदा कर दिया।
वैसे इससे यह पता चलता है कि सास-बहू और ननद-भाभी में नोक-झोंक आज से नहीं बल्कि पौराणिक काल से चलती आ रही है। लेकिन यह बात भी सही है कि जिस रिश्ते में तकरार, मन-मुटाव, नोक-झोंक ना हो वो परिवार मजबूत नहीं हो सकता।