जब पूरे भारत में अनेकों परिवार भाई-बहन के त्योहार रक्षा बंधन की तैयारियों में जुटे हैं वहीं एक भाई बहन के अनूठे प्रेम की नई गाथा लिख दी है। रक्षा बंधन से पहले एक बहन ने भाई को बेहद अनमोल तोहफा दे दिया है। बहन से गुर्दे के रूप में जीवन का उपहार पाकर अमन बत्रा नौ साल बाद अब डायलिसिस से मुक्त हो गये हैं । अब वह अपने भविष्य की योजनाएं बनाने में जुटे हैं ।
गुर्दे की बीमारी से ग्रस्त था पीड़ित
गुड़गांव में रह रहे 29 वर्षीय पटकथा लेखक 2013 से ही गुर्दे की बीमारी से ग्रस्त थे। उनके माता-पिता गुर्दा दान करने में असमर्थ थे, जिसके बाद यह जिम्मा उनकी बहन चंद्रा ग्रोवर (38) ने उठाया। उनकी बहन अपने पति के साथ न्यूजीलैंड में रहती हैं। उनकी प्रतिरोपण सर्जरी उनके जन्मदिन के 10 दिन बाद 11 जून को हुई थी । उसी महीने कुछ दिनों बाद उनकी बहन अपने घर लौट गयीं । बत्रा को 22 जून को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी।
सूई से डरती थी बहन
बत्रा ने कहा, ‘‘मेरे माता-पिता उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं। मेरी मां मधुमेह की मरीज हैं। मेरी बड़ी बहन चार-पांच साल से मेरे पीछे पड़ी थीं और कह रही थीं कि वह अपना गुर्दा दे सकती हैं लेकिन हम अनिच्छुक थे क्योंकि उन्हें (बहन को)सर्जरी से हमेशा डर लगता था। उन्होंने आभार के साथ कहा, ‘‘ वह बहुत नाजुक हैं। जब भी उन्हें कोई सूई लगती है तो वह दर्द के कारण एक हफ्ते तक उस हाथ को पकड़कर रखती हैं। लेकिन वह मेरी खातिर ऑपरेशन के लिए तैयार हो गईं ’’।
दोनों भाई-बहन में रहा गहरा प्रेम
दोनों भाई-बहन में हमेशा ही गहरा प्रेम रहा है। बत्रा ने कहा कि 2010 में उन्होंने अपनी कलाई पर अपनी बहन के चेहरे का टैटू भी गुदवाया था। ब्यूटी सैलून एवं आयात का धंधा करने वालीं ग्रोवर ने कहा कि इस साल उनका राखी त्योहार डिजिटल होगा। चंदा ग्रोवर ने कहा कि वह नौ सालों से अपने भाई को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश कर रही थी कि वह उसका गुर्दा ले ले लेकिन वह अड़ा था कि वह ऐसा नहीं होने देगा।
बहन ने भाई से मांगा उपहार
ग्रोवर ने ऑकलैंड से बताया कि इस साल फरवरी में मैंने किसी तरह उसे राजी कर लिया कि हमें यह करना ही होगा, क्योंकि यदि वह इतने कष्ट से गुजर रहा है तो मैं कभी खुश नहीं होऊंगी। वह अंतत: राजी हो गया। मैं मार्च में भारत आ गयी, मैंने जांच करवायी और मई में लौट गयी ताकि हम सर्जरी करवा सकें। उसके पास अपने फैसले से मुकरने का वक्त नहीं था। उन्होंने कहा-‘‘ इस राखी के लिए मैंने जो उपहार मांगा है, वह यह है कि वह अपने स्वास्थ्य को हल्के में नहीं लेगा, अपनी सेहत का ध्यान रखेगा।’’
नया जीवन पाकर खुश है भाई
कई स्वास्थ्य मुश्किलों से उबर चुके बत्रा ने कहा- मैं अपनी बहन के बिल्कुल विपरीत हूं। मेरी 2010 में एपेंडिक्स की सर्जरी हुई थी। पिछले नौ सालों में मैं हर सप्ताह दो बार डायलायसिस से गुजरा हूं। दो बार कोविड एवं एक बार डेंगू की चपेट में आ चुका हूं। बत्रा ने कहा - "मैंने बीमारियों को उन पर हावी नहीं होने दिया। मैं सामान्य व्यक्ति की तरह जिया करता था, रोज 10-12घंटे काम करता था, यहां से एड फिल्में बनाता हूं’’ ।