कोरोना वायरस के कारण लगे 3 महीने के लॉकडाउन ने कई लोगों का आजीविका को तहस-नहस कर दिया है। इस दौरान उन महिलाओं को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिनके घर में कमाने वाला कोई नहीं है। ऐसी महिलाओं को उम्मीद की किरण दिखा रही है दिल्ली की 'उम्मीद की रसोई'। दरअसल, कोविड-19 के कारण बेरोजगार हुए लोगों लिए "राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन" शुरू किया है। इसी के तरह बेरोजगार महिलाओं को काम दिला रही है 'उम्मीद की रसोई'।
दिल्ली बुद्ध नगर की रहने वाली आरती महामारी से पहले वह लोगों के घरों में खाना बनाती थी लेकिन लॉकडाउन के कारण वह बेरोजगार हो गई। नौकरी चले जाने का कारण घर खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया। ऐसे में 'उम्मीद की रसोई' से उन्हें नई दिशा मिला, जिससे वह काफी खुश हैं।
करीब 5 लोगों की टीम यह काम संभालती है, जिसमें सभी महिलाएं हैं। 'उम्मीद की रसोई' रसोई में राजमा-चावल जैसी फूड्स आइटम्स बनाकर बेची हैं। आरती बताती हैं कि पहले दिन उन्होंने 2kg राजमा व 3 kg चावल बनाए थे जो आधे दिन में ही बिक गए। जैसे-जैसे कस्टमर्स की संख्या बढ़ती गई उन्होंने मेन्यू में ज्यादा चीजें शामिल करना शुरू कर दिया।
महिलाओं के लिए की गई नई पहल
वहीं नई दिल्ली में 'उम्मीद की राखी' और 'उम्मीद के गणपति' जैसे छोटे स्टार्टअप भी आशा की किरण बनके उभरे हैं। यह छोटे-छोटे स्टार्टअप लॉकडाउन की वजह से नौकरी खो चुकीं महिलाओं में प्रेरणा जगाएंगे। बता दें कि जिला प्रशासन ने 3 उपखंडों में ऐसे 12 समूह बनाए हैं, जिसमें 20-20 महिलाओं की टीम है। वहीं, प्रशासन द्वारा महिलाओं को नई चीजें बनाने और आजीविका चलाने की ट्रिक्स बताई जा रही हैं, ताकि वो अपना गुजर बसर कर सकें।
सेफ्टी के साथ रोजगार की ट्रेनिंग
इस योजना के तहद महिलाएं अपने समूहों के साथ मिलकर घर से खाना बनाती हैं और फिर उसे स्टॉल पर बेचती हैं। कोरोना काल में सेफ्टी का ध्यान रखते हुए महिलाओं को प्रोफेशनल शेफ द्वारा हाइजीनिक कुकिंग की ट्रेनिंग भी दी गई है। महिलाओं को खाना सर्व करना, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने का सही तरीका जैसे सभी जरूरी नियम बताए गए हैं। फिलहाल उम्मीद की रसोई में सिर्फ 18 से 60 साल की औरतों को काम करने की परमिशन है।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का यह प्रोजेक्ट वाकई सहारनीय है।