कुछ लोगों की जिंदगी में खुशियां आती तो हैं पर थोड़े समय के लिए। गुजरात का एक परिवार जहां अपनी बेटे के टॉप आने की खुशियां मना रहा था तो वहीं दूसरी तरफ मौत छात्रा का इंतजार कर रही थी। इंजीनियर, IAS और IPS बनने का सपना देखने वाली इस बच्ची को क्या पता था कि वह अपनी कोई भी इच्छा पूरी कर नहीं पाएगी। गुजरात बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में टॉप करने वाली एक छात्रा ने रिजल्ट आने के 4 दिन बाद ही दुनिया को अलविदा कह दिया।
दरअसल 11 मई को गुजरात बोर्ड के 10वीं कक्षा का रिजल्ट जैसे ही आया तो एक परिवार में शादी जैसा माहोल हो गया। 16 साल की हीर का नाम टॉपर्स के लिस्ट में आने से पूरा परिवार बेहद खुश था। इस लड़की ने परीक्षा में 99.70 फीसदी हासिल किए थे। अभी हीर की पढ़ाई का सोच ही रही थी कि ब्रेन हैमरेज के चलते उसकी मौत हो गई। उसका डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया।
अपनी होनहार बेटी को खोना हीर के मां- बाप के लिए आसान नहीं था, उनकी तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई हो लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत करते हुए एक फैसला लिया जो काबीले तारीफ है। परिवार ने साहस दिखाते हुए बेटी हीर की आंखों के साथ उसके शरीर को भी डोनेट कर मिसाल पेश की। उनकी बेटी तो वापस नहीं आ सकती पर उसके अंग किसी को जीने की नई उम्मीद दे सकते हैं।
बताया जा रहा हे कि राजकोट में रहने वाली माेरबी के प्रफुल्लभाई घेटिया की बेटी हीर को महीने भर पहले ब्रेन हैमरेज हुआ था। उसके मस्तिष्क का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था, इसलिए उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया, इसी बीच उसका रिजल्ट आया। हीर राज्य में टाॅप करने की खुशी भी नहीं बना पाई। उसके माता- पिता ने सोचा था कि हीर डॉक्टर बनकर परिवार का नाम रोशन करेंगी, पर उसकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था।