छोटे बच्चों जितना शरारती शायद ही कोई होता होगा। उन्हें छोटे होने का फायदा मिलता है और वो घर वालों ही नहीं ब्लकि बाहर वालों को भी इस तर्ज पर परेशान करने लगते हैं कि उन्हें कोई कुछ कहने-बोलने वाला नहीं है। लेकिम अक्सर शरारती बच्चों के प्रति उनके पैरेंट्स का पारा चढ़ने लगता है तो वे उन्हें डांटना और कभी-कभी मारना भी शुरु कर देते हैं। लेकिन ऐसे परिस्थित में बच्चे सुधरने के बजाए और ज्यादा शरारती हो जाते हैं। ऐसे में अगर आप चाहते हैं बच्चा शरारत कम करके अनुशासन में रहे और बात माना करे तो डांटने से काम नहीं बनेगा। यहां दिए गए कुछ टिप्स आपके काम आएंगे.....
बच्चों को दें चुनने का मौका
यह कहना कि जाओ और खिलौनों की सफाई करो, बच्चों के सिर के सीधा ऊपर से जाएगा और वे आपके चिल्लाने से सिर्फ गुस्सा करेंगे लेकिन खिलौनों की सही तरह से सफाई नहीं। इससे बेहतर आप उन्हें चुनने का मौका दीजिए कि खिलौने साफ पहले करोगे या फिर पहले अपने स्कूल का काम करना है। बच्चे दोनों में से एक काम चुनकर पहले करेंगे और दूसरा बाद में, इससे उन्हें लगता है कि उनकी बात मानी जा रही है।
बच्चों के नखरों की वजह जानें
बच्चे नखरे क्यों कर रहे हैं, बात क्यों नहीं मान रहे या फिर हमेशा शरारतों का सहारा ही क्यों लेते हैं इसकी भी वजह होती है। कई बार वे माता-पिता या किसी और के डर से काम को सीधी तरह से करने की बजाय शरारतों का सहारा लेते हैं। इसलिए उनकी बात सुनें कि उन्हें परेशानी क्या है और वह यह सब क्यों कर रहे हैं।
अच्छे कामों पर तारीफ
जब बच्चों के अच्छे कामों की सराहना नहीं की जाती तो वे शरारतों और अच्छे होने में खुद ही अंतर नहीं कर पाते। बच्चे जब कुछ अच्छा करें तो उनकी सराहना करें, उनकी तारीफ करें। वे माता-पिता को खुश करने के लिए इन्हीं अच्छी आदतों पर फोकस करने लगते हैं।
बच्चों पर ध्यान देना
कई बार पैरेंट्स बच्चों पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते या फिर कोई भी उनपर खासा ध्यान केंद्रित नहीं करता और अटेंशन पाने के लिए ही वे शरारतों का सहारा लेते हैं। आपका बच्चा भी ऐसा ही करता हो तो आपको उससे बात करके प्यार से समझाने की जरूरत है ना कि हर वक्त उसे डांटते रहने की।