23 साल की विदिशा बालियान ने तमाम लड़कियों के लिए मिशाल पेश कर उन्हे सपने देखने की जो हिम्मत दी है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की रहनी वाली विदिशा ने 'मिस वर्ल्ड डेफ-2019' का खिताब जीतकर कामयाबी की उड़ान भरी है। वह पहली ऐसी भरतीय हैं, जिन्हे इस खिताब से सम्मानित किया गया। विदिशा लॉन टेनिस में राष्ट्रीय स्तर और डिफलॉम्पिक्स में भी मेडल जीत चुकी हैं।
टेनिस में भी जीत चुकी हैं मेडल
पूर्व अंतरराष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी, विदिशा ने डेफलिम्पिक्स में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। पीठ में गंभीर चोट लगने के बावजूद उन्होंने सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग लिया, जिसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की एक प्रतियोगी को हराया था। इतना ही नहीं विदिशा अंतरराष्ट्रीय बधिर ओलंपिक में टेनिस के लिए रजत पदक भी अपने नाम कर चुकी हैं।
सामान्य बच्चों के स्कूल में पढ़ी विदिशा
विदिशा सुन नहीं सकतीं थीं, इसके बावजूद उनके माता-पिता ने उन्हें सामान्य बच्चों के स्कूल में पढ़ाने का फैसला किया। उन्हें डर था कि विदिशा अगर एक बार मूक-बधिरों के स्पेशल स्कूल में गईं तो फिर सामान्य लोगों के साथ घुलमिल नहीं पाएंगी। बालियान ने 10 साल की उम्र में रैकेट थाम लिया और उसने नैशनल गेम्स में दो सिल्वर मेडल भी जीते।
खुद में आत्मविश्वास हासिल करना चाहती थी विदिशा
2017 में उन्हें समर डेफओलिंपिक्स में भाग लेने का मौका मिला लेकिन रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारी का पता चलने पर खेल छोड़ना पड़ा। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और फिर ब्यूटी कॉन्टेस्ट मिस डेफ इंडिया में भाग लेने का मन बनाया। विदिशा बताती हैं कि उन्होंने खुद में आत्मविश्वास हासिल करने के लिए इसमें हिस्सा लिया था। वह इस मंच के माध्यम से बधिर समुदाय को उनकी प्रतिभा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करना चाहती थी।
सोशल मीडिया पर बयां की थी खुशी
विदिशा ने जीत के बाद सोशल मीडिया पर बताया था कि- उनकी मां को यकीन ही नहीं हुआ कि एक खिलाड़ी मॉडलिंग कैसे कर सकती है। 8 महीने तैयारी करने के बाद उन्होंने 'मिस वर्ल्ड डेफ-2019' का टाइटल जीत लिया। अपनी जीत के बाद विदिशा ने एक वीडियो जारी कर लिखा था कि- , "मेरा ताज...मेरे आंसू किसी भी शब्द से ज्यादा बयां कर रहे हैं। मुझे मिस डेफ वर्ल्ड श्रेणी में जीतने वाली पहली भारतीय के रूप में ताज पहनाया जा रहा है। भगवान को धन्यवाद।"
टैलेंट राउंड में किया था तांडव
इस प्रतियोगिता के टैलेंट राउंड में विदिशा ने तांडव पर परफॉर्म किया था। दरअसल तांडव भगवान शिव का डांसफॉर्म माना जाता है। विदिशा ने बताया था कि उन्हे छोटी उम्र से ही नृत्य करना पसंद था। हालांकि वह ताल और ध्वनियों को स्पष्ट रूप से नहीं सुन सकती थी लेकिन उनका मानना है कि नृत्य करने के लिए आत्मा में संगीत की आवश्यकता होती है।