03 JULWEDNESDAY2024 2:35:03 PM
Nari

जोर शोर से चल रहा है भगवान जगन्नाथ के भव्य रथ को बनाने का काम, जानें कितनी होती है इसकी लंबाई

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 01 Jul, 2024 07:48 PM
जोर शोर से चल रहा है भगवान जगन्नाथ के भव्य रथ को बनाने का काम, जानें कितनी होती है इसकी लंबाई

प्रसिद्ध पुरी कार उत्सव के लिए तीन रथों का निर्माण कार्य प्रगति पर है और सात जुलाई को भव्य आयोजन से एक दिन पहले इसके पूरा होने की उम्मीद है। विभिन्न क्षेत्रों के सैकड़ों श्रमिक निर्माण स्थल पर प्रति दिन काम कर रहे हैं। तीनों रथों का निर्माण शुभ अक्षय तृतीया के दिन शुरू हुआ और इसे 44 दिनों के भीतर पूरा किया जाना है। 

PunjabKesari
मंदिर के पुजारियों द्वारा एक औपचारिक समारोह में भगवान जगन्नाथ से प्राप्त अजनामल्यास (भगवान का आदेश) को विश्वकर्माओं (तीन रथों के तीन मुख्य बढ़ई) को सौंपने के बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया था। विश्वकर्माओं को जिम्मेदारी सौंपने के प्रतीकात्मक रूप में पगड़ी भेंट की गई। दस से अधिक बढ़ई और उनके सहायक तीन रथों का निर्माण कर रहे मुख्य बढ़ई के निर्देशन में काम कर रहे हैं। इन रथों का निर्माण ग्रैंड रोड के किनारे शाही महल के सामने स्थित रथ खाला (निर्माण याडर्) में किया जा रहा है, जिसे ‘बडाडांडा' कहा जाता है। बढ़ई भगवान की सेवा के लिए दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं और मंदिर से मजदूरी प्राप्त करते हैं।

PunjabKesari
 भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के विश्वकर्मा बिजय कुमार महापात्र ने बताया कि निर्धारित डिजाइन के अनुसार आसन, धौरा और फासी जैसी विभिन्न प्रजातियों की पेड़ लकड़ी के कुल 872 टुकड़ों का उपयोग करके सोलह विशालकाय पहियों वाले भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ (13.9 मीटर की ऊँचाई), चौदह पहियों के साथ बलभद्र के तालध्वज (13.5 मीटर ऊँचाई) और बारह पहियों के साथ देवी सुभद्रा के दर्पदलन रथ (12.9 मीटर ऊँचाई) का निर्माण किया जा रहा है। 

PunjabKesari
रथ के अन्य भागों के अलावा धुरी, पहिया और तीलियों को तैयार करने के लिए विशिष्ट प्रकार की वृक्ष प्रजातियों और लकड़ी के लट्ठों का उपयोग किया जाता है। सभी तीन रथ मैन्युअल रूप से संचालित फ्रंट ब्रेक के साथ अद्वितीय शॉक अवशोषक पद्धति से सुसज्जित हैं। इन बढ़इयों के अलावा कई मूर्तिकार और चित्रकार रथों के तीनों किनारों पर पार्श्वदेवताओं (रक्षक देवताओं) की छवियों को उकेरने और रंगने का काम करके अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं। 

PunjabKesari

मूर्तिकार अलग होने योग्य लकड़ी के फ्रेम पर चित्र उकेरते हैं, वहीं चित्रकार उन्हें पारंपरिक चमकीले और जीवंत रंगों से चित्रित करते हैं। रथों के निर्माण के तुरंत बाद, उन्हें आधी रात को उत्सव स्थल पर खींचा जाएगा और मंदिर के मुख्य द्वार के सामने पूर्व की ओर गुंडिचा मंदिर की ओर खड़ा कर दिया जाएगा। त्योहार के दिन सुबह मंदिर के पुरोहित मुख्य मंदिर से तीन किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर में अपने नौ दिवसीय प्रवास की शुरुआत करने के लिए देवताओं के रथ पर चढ़ने से पहले उनका अभिषेक करते हैं। 
 

Related News