22 अक्टूबर यानी आज धनतेरस का पर्व और शनि प्रदोष व्रत भी। यह व्रत प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस बार प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
इस बार यह पर्व शनिवार को पड़ रहा है ऐसे में इस दिन शिव, शनि और मां लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होगा। चलिए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत-पूजा का मुहूर्त और कुछ खास उपाय।
शनि प्रदोष पूजा का शुभ संयोग
प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म योग शाम 05 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इसके बाद इंद्र योग शुरू होगा। इसके साथ ही इस दिन त्रिपुष्कर योग 01:50 पी एम से 06:02 पी एम तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन शुभ योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होने की मान्यता है।
शिव पूजा का मुहूर्त
इस व्रत में भगवान शिव की विशेष पूजा संध्या काल में की जाती है। ऐसे में सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल शुरु होता है। इस दिन पूजा के लिए ढाई धंटे का समय मिलेगा जो की शाम 22 अक्टूबर 2022 को शाम 06: 07 मिनट से रात 08:36 मिनट तक रहेगा।
शनि प्रदोष व्रत और पूजा की विधि
1. आज सुबह स्नान करके शनि प्रदोष व्रत और शिव पूजा का संकल्प लें और फिर दौनिक पूजा करें।
2. शाम को शुभ मुहूर्त के समय शिंवलिंग की पूजा करें।
शनि प्रदोष के दिन करें यह खास उपाय
इस व्रत के दौरान शनि की अशुभता को कम करने के लिए स्नान करके शिवलिंग पर काला तिल अर्पित करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और जीवन के सभी प्रकार के कलह-क्लेश दूर होते हैं। इस दिन जरुरतमंदों को अन्न, वस्त्र या जूते-चप्पल का दान करना चाहिए साथ ही इस दिन प्रदोष काल मे भोलेनाथ का रुद्राभिषेक कर शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा शनि देव का तेलाभिषेक कर शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। कहते हैं इससे पितृदोष और साढ़ेसाती के जैसे अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।