कोरोना वायरस के कारण 21 दिनों का लॉकडाउन तो घोषित कर दिया गया। मगर मजदूर, किसान और हर उस इंसान जिसके सिर पर छत नहीं है उसके बारें में सोचना मानों किसी को याद ही नहीं रहा। बस, ट्रैन या फिर रिक्शा चाहे न चले मगर परिवार को खिलाने की मजबूरियों ने हजारों लोगों के पांव में पाबंदियां नहीं लगने दी। उन्हें कोरोना का खौफ नहीं डरा रहा है। बल्कि उन्हें अपने परिवार को पालने का डर सता रहा है।
नई दिल्ली में लॉकडाउन के चौथे दिन ही आनंद विहार में हजारों लोगों भीड़ स्पॉट की गई। हर कोई अपने घर जाने के लिए पैदल निकल गए। सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि मालवा, कानपुर, पानीपत में भी यही हाल है। हालात बिगड़ते जा रहे है। मजदूरों को अपने परिवार को चलाने की तलब ने उन्हें मजबूर किया है कि वो सड़को पर बिना किसी साधन के निकलने पर मजबूर किया है।
घरों में शुरु हुई रामायण मगर सड़कों पर दिखा महाभारत
जहां इंडिया कैशलेस होने वाला था। वहीं हमें लोगों की गरीबी देखने को मिली। अब ऐसे में तो किसी को तो उनके बारें में सोचना होगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से की अपील की वो जहां रह रहे हैं वहीं रूकें। उनके खान-पीने की हरसंभव व्यवस्था की जाएगी। दिल्ली सरकार की ओर से बनाए गए करीब 800 केंद्रों पर जरूरतमंद लोगों को भोजन वितरित किया जा रहा है।