आपके मन में अगर कुछ बनने की चाह तो हो आपको दुनिया की कोभी भी ताकत सफलता पाने से नहीं रोक नहीं सकती है। इसके लिए आपको चाहे कितनी भी कठिनाईयां क्यों न सहन करनी पड़ें लेकिन अगर आपमें कुछ पाने की लालसा है तो सफलता आपके कदमों में होती है। वहीं बहुत सारे लोग ऐसे भी होते हैं जिनका या तो पैर नहीं होता या फिर हाथ नहीं होते ऐसे लोग इन हादसों के बाद अपनी जिंदगी का अंत समझ लेते हैं। और खुद को दूसरों पर बोझ समझने लगते हैं लेकिन कुछ इसी कमजोरी को अपनी ताकत बना लेते हैं और ऐसा ही कुछ कर दिखाया है 25 वर्ष की तान्या डागा ने।
एक पांव से की साइकिलिंग
दरअसल हम जिस जाबांज तान्या की बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर की रहने वाली है। तान्या का एक पैर नहीं है लेकिन बावजूद इसके तान्या ने हार नहीं मानी और डटकर अपनी कमजोरी के सामने खड़ी हो गई। इसी साहस के कारण आज तानिया को सफलता मिली है। और तान्या ने एक पैर से ही 3800 किलोमीटर की साइकिल की यात्रा जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरी की।
बनाया रिकार्ड
मीडिया रिपोर्टस की मानें तो तान्या ने यह सफर 19 नवंबर को शुरू किया और दिसंबर की 31 तारीख को यानि 43 दिन में इस यात्रा को पूरा कर अपने नाम रिकार्ड बनाया है और वह अब देश की पहली महिला पैरा-साइकिलिस्ट बन गई हैं।
पिता की मौत की खबर मिली लेकिन जारी रखी यात्रा
तान्या के ना हारने वाले हौसले के कारण ही आज उन्होंने अपने नाम रिकार्ड किया है। लेकिन सफलता की ओर बढ़ती यह बेटी शायद इस बात से अनजान थी कि वह इस यात्रा के दौरान अपने पिता को ही खो देगी। दरअसल यात्रा के दौरान ही तान्या के पिता की मौत को गई। पिता की मौत की खबर मिलते ही तान्या ब्यावरा पहुंची लेकिन इस समय भी वह रूकी नहीं और 22 दिसंबर को फिर साइकिलिंग पर निकल गईं। पिता के जाने का सदमा और दुख तो तान्या को था लेकिन वह रूकी नहीं।
एक्सीडेंट में गंवाया एक पैर लगे 3000 टांके
तान्या ने अपने नाम आज रिकार्ड बनाया है लेकिन यह सफर उनके लिए आसान नहीं था। तान्या अपनी जिंदगी के उस दौर के बारे में बताती है जिसने उनका एक पैर छीन लिया। दरअसल साल 2018 में तान्या जब एमबीए की पढ़ाई कर रही थी तो उस दौरान एक कार की टक्कर से तान्या का एक पैर कट गया। इस हादसे के बाद तान्या को जल्द ही देहरादून से इंदौर रेफर किया गया। वहां तान्या की दो सर्जरी हुईं। हालांकि चिंता तो तब बढ़ी जब तान्या के जिंदा रहने के लिए कोई भी गारंटी भरने के लिए तैयार नहीं था। पैर की सर्जरी में ही तान्या के 3000 टांके लगे और कम से कम 6 महीने तक इलाज चला।
शुरूआत में साइकिलिंग के वक्त पैर से निकला खून लेकिन हारी नहीं
इस हादसे के बाद खुद को कमजोर समझने की जगह तान्या ने खुद को और मजबूत बनाया और एक फाउंडेशन से जुड़ीं। यहां से ही तान्या ने एक पैर से साइकिलिंग शुरू की हालांकि शुरूआत शुरूआत में एक पैर से साइकलिंग करने के कारण तान्या को काफी दर्द हुआ, कईं बार खून भी निकला लेकिन तान्या कहां इतनी जल्दी हार मानने वालों में से थी। इसके बाद तान्या ने धीरे धीरे साइकिलिंग में भाग लेना शुरू किया और 100 किलोमीटर साइकिलिंग पूरी कर टॉप टेन में जगह बनाई। आपको बता दें कि तान्या को बीएसएफ की तरफ से सम्मानित भी किया गया है।
सच में हम भी तान्या के इस जज्बे को सलाम करते हैं।