कड़ी मेहनत और पूरी लगन के साथ किसी भी सपने को आसानी से पूरा किया जा सकता है। चाहे परीक्षा कितनी भी कठिन क्यों न हो लेकिन यदि आप पूरी शिद्दत के साथ मेहनत करते हैं तो अपने सपनों को पर दे सकते हैं। ऐसे ही कुछ कहानी है आईएएस ऑफिसर रेनू राज की। रेनू राज ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की। लेकिन उनके लिए यह सफर आसान नहीं था। आज आपको बताएंगे कि कैसे रेनू राज ने अपने सपनों को पूरा करके आईइएस की परीक्षा पास की। आइए जानते हैं जानते हैं उनकी सफलता की कहानी...
केरल के कोट्टायम की रहने वाली हैं रेनू
रेनू राज कोट्टायम के केरल की रहने वाली हैं। उन्होंने सेंट टैरेसा हायर सेकेंडरी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा शुरु की थी। इसके बाद रेनू ने कोट्टायम के गर्वनमेंट मेडिकल कॉलेज से मेडिकल से पढ़ाई की। डॉक्टर बनने के बाद साल 2013 में रेनू ने डॉक्टरी के साथ यूपीएससी की तैयारी करनी शुरु कर दी थी और पहले प्रयास में ही परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी।
सबसे कुशल आईएएस ऑफिसर्स में लिया जाता है नाम
रेनू राज अलाप्पुझा की जिला कलेक्टर हैं। उन्होंने डॉक्टरी के दौरान ही यूपीएससी की तैयारी शुरु की और पहले प्रयास में ही परीक्षा पास कर ली थी। आज रेनू का नाम देश के सबसे कुशल आईएएस ऑफिसर्स की लिस्ट में लिया जाता है।
बचपन से था पढ़ाई का शौक
रेनू को बचपन से ही पढ़ाई खा खूब शौक था। वह अपनी मेहनत के दम पर एक काबिल डॉक्टर बनी थी। उनके पिता एक सरकारी नौकरी करते थे वहीं उनकी मां एक गृहीणी थी। रेनू की दो बहनें हैं दोनों ही शादीशुदा हैं। दोनों के पति पेशे से डॉक्टर हैं। ऐसे में बचपन से ही रेनू आईएएस बनना चाहती थी।
सर्जन के रुप में भी कर रही हैं काम
एक इंटरव्यू में रेनू ने बताया था कि - 'आईएएस बनना उनका बचपन का सपना था।' जब वह एक सर्जन के रुप में कार्य कर रही थी तब उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि वह आम लोगों के लिए कुछ करना चाहती हैं और उनके जीवन को बेहतर बनाना चाहती हैं उस समय उन्होंने आईएएस आधिकारी बनने का फैसला लिया। आगे बात करते हुए रेनू ने बताया कि - 'मैंने सोचा था कि एक डॉक्टर बनके वह कम से कम 50-100 लोगों की ही मदद कर सकती हैं परंतु आईएएस ऑफिसर बनके लाखों लोगों की जिंदगी में बदलाव ला सकती हैं।' यूपीएससी की प्रति लगन और तैयारी अपने आप में ही एक अच्छा उदाहरण है। रेनू राज ने 2014 में सिविल सेवा परीक्षा का पेपर पास किया। अपने पहले ही प्रयास में रेनू ने 2रैंक हासिल किया। उन्होंने बताया कि 2013 से ही वह यूपीएससी की परीक्षा के लिए हर रोज कम से कम 3-6 घंटे पढ़ाई करती थी। डॉक्टरी प्रैक्टिस के साथ छह-सात महीने तक इसी शैड्यूल के साथ पढ़ाई की।