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ऐसा होना चाहिए दुनिया का हर बेटा: अब घुटनों की बीमारी से जूझ रहे बुजुर्गों का इलाज कराएंगे सोनू सूद

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 19 Dec, 2022 11:19 AM
ऐसा होना चाहिए दुनिया का हर बेटा: अब घुटनों की बीमारी से जूझ रहे बुजुर्गों का इलाज कराएंगे सोनू सूद

सोनू सूद एक्टर होने के साथ- साथ बड़े दिल वाले शख्स भी हैं। सोनू कई बार साबित कर चुके हैं कि वह जरूरतमंदों के लिए मसीहा से कम नहीं हैं, तभी तो उन्हें सुपर हीरो कहा जाता है। उन्होंने एक बार फिर जरूरतमंदों की मदद करने का फैसला लिया है।  बॉलीवुड अभिनेता ऑस्टियोआर्थराइटिस बीमारी से जूझ रहे लोगों का इलाज कराएंगे। 

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सूद चैरिटी फाउंडेशन ने शुरू किया अभियान

दरसल सोनू सूद के चैरिटी संस्थान ‘सूद चैरिटी फाउंडेशन ने घुटने की बीमारी से पीड़ित रोगियों की मदद करने के लिए ‘कदम बढ़ाए जा' अभियान शुरू किया है, जिसके तहत वह ऑस्टियोआर्थराइटिस बीमारी से जूझ रहे मरीजों का इलाज कराने में उनकी मदद करेंगे। सोनू सूद ने बताया कि 50 साल की उम्र के बाद से ऑस्टियोआर्थराइटिस बीमारी लोगों के बीच बेहद कॉमन हो जाती है। 

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जरूरतमंद मरीजों तक मदद पहुंचाने की कोशिश 

एक्टर ने बताया कि- "गंभीर मामलों में रोगी को दर्द से राहत देने के लिए टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की जरूरत होती है। जिसे सभी लोग अफोर्ड  नहीं कर सकते हैं, इसलिए सूद चैरिटी फाउंडेशन की मुहिम के जरिए हम ऐसे जरूरतमंद मरीजों को मदद पहुंचाने की कोशिश करेंगे, जिससे उनकी जिंदगी पहले जैसी हो सके। जब मैं अपने बच्चों को चलना सिखाने वाले वरिष्ठ नागरिकों को खुद चलने में असमर्थ देखता हूं तो मुझे बहुत तकलीफ होती है"।

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मुफ्त होगी सर्जरी

सोनू ने आगे कहा-  " मुझे यह समझ नहीं आता कि लोग अपने माता-पिता के स्वास्थ्य की चिंता क्यों नहीं करते हैं। हमारा समाज बुजुर्गों के लिए क्यों कुछ भी नहीं करता है। मैं इस अभियान के साथ इस अंतर को खत्म करना चाहता हूं। मैं नहीं चाहता कि कोई बुजुर्ग इलाज करवाने में अक्षम हो  "। सूद चैरिटी फाउंडेशन का दावा है कि उनकी इस मुहीम के तहत टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की आवश्यकता वाले रोगियों की मुफ्त सर्जरी कराई जाएगी, सभी ऑपरेशन मुंबई में होंगे।


क्या है ऑस्टियोआर्थराइटिस

ऑस्टियोआर्थराइटिस में एक या एक से ज्यादा जोड़ों के कार्टिलेज टूटते या घिसते रहते हैं। जिससे हड्डियां कमजोर और जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है। आर्थराइटिस की शुरुआत तब होती है जब कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के ऊतकों पर हमला करती है। इसका प्रभाव सिनोवियम पर पड़ता है जो जोड़ों में पाया जाने वाला नर्म टिशु है। इससे जोड़ों को चिकनाई, पोषण और लिक्विड मिलता है। रूमेटी गठिया जोड़ों पर हमला करके इस सिनोवियम को नष्ट करता है। इस स्थिति में हड्डियां बहुत कमजोर और टेढ़ी होनी शुरू हो जाती हैं। 


ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण

बुढ़ापा- जब आपकी उम्र बढ़ने लगती है तो आपकी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इससे ऑस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है।

लिंग- महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित होने का खतरा अधिक होता है।

मोटापा- शरीर का अतिरिक्त वजन आपके शरीर के जोड़ों पर अधिक दबाव और तनाव जोड़ सकता है, जिससे आपके घुटनों, कूल्हों और जोड़ों में दर्द रहता है। 

जोड़ों की चोट- खेल खेलते समय या किसी घातक दुर्घटना से होने वाली चोटें ऑस्टियोआर्थराइटिस के विकास की संभावना को बढ़ा सकती हैं।

आनुवंशिकी- यदि माता-पिता में से एक या दोनों को ऑस्टियोआर्थराइटिस है, तो बच्चे को भी ऑस्टियोआर्थराइटिस होने का खतरा होता है।

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