नारी डेस्क: सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव बच्चों पर गहरा असर डाल रहा है। आज 13 से 17 साल के करीब 73% बच्चे सोशल मीडिया पर समय बिता रहे हैं और इस दौरान कई बार अनजाने में ही अश्लील कंटेंट देख लेते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई में गिरावट आ रही है। माता-पिता अगर ध्यान दें, तो पाएंगे कि उनके बच्चे एक घंटे का काम अब तीन घंटे में खत्म कर रहे हैं। इस देरी का मुख्य कारण इंटरनेट पर उपलब्ध अश्लील कंटेंट है, जो बच्चों के विचारों को प्रभावित कर रहा है, उन्हें हिंसक और अनैतिक व्यवहार सामान्य लगने लगता है। हालांकि, नियमों के अनुसार बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट नहीं होने चाहिए, लेकिन अभिभावकों के फोन और अकाउंट का उपयोग कर बच्चे इन प्लेटफॉर्म्स तक आसानी से पहुंच जाते हैं। इंटरनेट का इस्तेमाल पढ़ाई में आवश्यक बनता जा रहा है, जिससे माता-पिता भी चाहकर बच्चों को इससे दूर नहीं रख पा रहे। इस समस्या का हल ढूंढने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पाबंदी लगा दी है।
बच्चों पर सोशल मीडिया और पोर्न सामग्री का असर
एक रिपोर्ट के अनुसार, 80% बच्चे हर दिन औसतन दो घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मिडलसेक्स, लंदन की एक रिसर्च में सामने आया है कि बच्चे एक बार पोर्न सामग्री देखने के बाद बार-बार इसे ढूंढते हैं। भारत में 12 से 16 साल के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, जिससे उनमें महिलाओं के प्रति गलत सोच बन रही है। कई बच्चों को रेप एक सामान्य क्रिया लगने लगता है, और वे कम उम्र में ही यौन संबंध बनाने का प्रयास करते हैं। विफल होने पर ये बच्चे नशे का भी शिकार हो रहे हैं।
बच्चों पर निगरानी जरूरी
विशेषज्ञों के अनुसार, 30% बच्चों पर खास नजर रखने की जरूरत है। स्कूलों में यौन शिक्षा को अनिवार्य बनाने की भी मांग हो रही है ताकि बच्चों को सुरक्षित जानकारी दी जा सके और उनसे खुले में बातचीत की जा सके।
माता-पिता के लिए सुझाव
1. सोशल मीडिया अकाउंट - बच्चों के मोबाइल पर कोई भी सोशल मीडिया अकाउंट न रखें।
2. टीचर से जानकारी लें - बच्चे के स्कूल में व्यवहार के बारे में जानकारी लेने के लिए टीचर से संपर्क बनाए रखें।
3. दोस्ताना व्यवहार - बच्चों से दोस्ताना रिश्ता रखें, ताकि वे अपने अनुभव साझा कर सकें।
4. ब्राउज़र हिस्ट्री चेक करें - समय-समय पर ब्राउज़र हिस्ट्री देखें कि वे किन वेबसाइट्स पर जा रहे हैं।
5. बच्चों से रोज़ बात करें - रोज़ बच्चे से उसकी पढ़ाई, दोस्तों और खेलकूद के बारे में पूछें।
6. समझाएं, डांटें नहीं - यदि कोई गलती हो तो बच्चे को प्यार से समझाएं, डांटने से बचें।
पोर्न कंटेंट और कानून
भारत में केवल अकेले पोर्न देखना अपराध नहीं है, लेकिन पोर्नोग्राफी को दूसरों को दिखाना या ग्रुप में साझा करना गैरकानूनी है। विशेषकर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री देखना और साझा करना सख्त कानूनों के दायरे में आता है और इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है।