05 NOVTUESDAY2024 11:17:08 AM
Nari

Sarva Pitru Amavasya: इस दिन दी जाएगी पितरों को विदाई,  जानें मुहूर्त और अमावस्या का  महत्व

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 23 Sep, 2022 03:49 PM
Sarva Pitru Amavasya: इस दिन दी जाएगी पितरों को विदाई,  जानें मुहूर्त और अमावस्या का  महत्व

पितृ पक्ष में  पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनका श्राद्ध किया जाता है। मान्यता है कि पिंडदान और दान धर्म के कार्य करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद हमेशा परिवार पर बना रहता है।  15 दिवसीय ये दिन अश्विन महीने की अमावस्या पर समाप्त होते हैं। सर्व पितृ अमावस्या को पितरों को विदाई दी जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार अगर किसी पितर की मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो उसका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जाना सबसे अच्छा होता है


सर्वपितृ अमावस्या की तिथि 

अमावस्या के दिन आप किसी भी पूर्वज का श्राद्ध कर सकते है। इस अवधि के दौरान किए गए अनुष्ठान पूर्वजों को शांति और मोक्ष  प्राप्त करने में मदद करते हैं।

कुतुप मुहूतर्रू सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक
रोहिण मुहूतर्रू दोपहर 12 बजकर 37 मिनट से दोपहर 01 बजकर 25 मिनट तक
अपराह्न काल समयः दोपहर 01 बजकर 25 मिनट से दोपहर 03 बजकर 50 मिनट तक 

PunjabKesari
भूले-बिसरे पितरों का करें श्राद्ध

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सभी लोगों को खासतौर पर अपने भूले-बिसरे पितरों के लिए श्राद्ध करना चाहिए। ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके। ब्रह्म पुराण के अनुसार, इस दिन पितरों का श्राद्ध करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर होकर मनचाहा फल मिलता है। पितरों के श्राद्ध के लिए कुतुप मुहूर्त और रोहिणी मुहूर्त को श्रेष्ठ माना जाता है।  विद्वानों का मत है कि किसी भी तिथि पर श्राद्ध सुबह 11:30 बजे से लेकर दोपहर 02:30 बजे के मध्य कर लेना चाहिए।


श्राद्ध करने की विधि

. सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं व साफ कपड़े पहनें।
. फिर पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और दान का संकल्प लें।
. जब तक श्राद्ध ना हो जाए कुछ खाएं-पीएं ना।
. दिन के आठवें मुहूर्त यानि कुतुप काल में ही श्राद्ध करें। यह सुबह 11.36 से 12.24 तक के बीच का समय माना जाता है।
. इस समय दक्षिण दिशा में मुंह रखकर बाएं पैर को मोड़कर, घुटने को जमीन पर टीकाकर बैठें।
. उसके बाद तांबे के चौड़े बर्तन में पानी डालकर उसमें जौ, तिल, चावल गाय का कच्चा दूध, गंगाजल, सफेद फूल डाल दें।
. अब हाथ में कुशा घास रख कर बर्तन वाले जल को हाथों में भरें। फिर सीधे यानि राइट हैंड के अंगूठे से पानी को उसी बर्तन में गिरा दें।
. लगातार 11 बार इस प्रक्रिया को दोहराते हुए पूर्वजों का ध्यान करें।
. अब अग्नि में पितरों के लिए खीर अर्पित करें।
. उसके बाद पंचबलि ग्रास यानि देवता, गाय, कुत्ते, कौए और चींटी के लिए भोजन निकाल दें।
. फिर ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।
. श्रद्धा के अनुसार दक्षिणा व अन्य चीजों का दान देकर ब्राह्मणों का आशीर्वाद लें।

PunjabKesari

ऐसे मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

ज्योतिषशास्त्र अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है।  मान्यता है कि पितरों का श्राद्ध करने के बाद इस आखिर दिन में उनकी विधि-विधान से विदाई करनी चाहिए। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में घर में सुख-समृद्धि, शांति व खुशियों का वास होता है। इसके साथ पूर्वज भी खुशी-खुशी अपने लोक को चले जाते हैं।

PunjabKesari
सर्वपितृ अमावस्या काे भूलकर भी न करें ये काम

सर्वपितृ अमावस्या के दिन किसी के साथ बुरा व्यवहार न करें। अपने से बड़े लोगों का अपमान नहीं करें।

इस दिन लकर भी मांस-मदिरा का सेवन न करें।

इस दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। मान्यता के अनुसार ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

सर्वपितृ अमावस्या के दिन जो कोई भी व्यक्ति आपके घर दान-दक्षिणा लेने आए उसे खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। 
 

Related News