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अगले हफ्ते मिल सकती है रूस की कोरोना वैक्सीन, जानिए भारतीय वैज्ञानिकों की राय

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 08 Sep, 2020 09:47 AM
अगले हफ्ते मिल सकती है रूस की कोरोना वैक्सीन, जानिए भारतीय वैज्ञानिकों की राय

कोरोना वैक्सीन बनाने में दुनियाभर के वैज्ञानिक लगे हुए हैं, जिसमें रूस, अमेरिका, भारत, चीन के अलावा कई देशों का नाम शामिल है। हालांकि रूस की वैक्सीन स्पुतनिक-वी इस दौड़ में आगे चल रही है लेकिन कई वैज्ञानिकों को उनकी वैक्सीन पर भरोसा नहीं है। चलिए आपको बताते हैं कि भारतीय वैज्ञानिकों की इसपर क्या राय है?

दूसरे चरण में रूस की वैक्सीन

रिपोर्ट की मानें तो रूप से दूसरी वैक्सीन का पहला फेज ट्रायल अच्छा रहा, जिसके बाद अब उसका दूसरा ट्रायल होने जा रहा है। ट्रायल में जिन मरीजों को वैक्सीन दी गई, उनमें कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी विकसित हुए। वहीं इससे कोई साइडइफेक्ट भी देखने को नहीं मिला। हालांकि रूस ने अभी वैक्सीन का डेटा जारी किए बिना ही लाइसेंस लिया है, जिसकी वजह से WHO और भारतीय वैज्ञानिक इस पर संदेह जता रहे हैं। वैक्सीन ट्रायल का डेटा उसकी प्रमाणिकता और सेफ्टी साबित करने के लिए जरूरी होता है। रूस के राष्ट्रपति का दावा है कि उनकी वैक्सीन कोरोना वायरस को खत्म करने में कारगर साबित होगी।

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अगले हफ्ते मिल सकती है वैक्सीन

खबरों की मानें तो रूस की कोरोना वैक्सीन आम नागरिकों के लिए इसी हफ्ते उपलब्ध हो जाएगी। बता दें कि रूस ने 11 अगस्त को वैक्सीन लॉन्च की थी, जिसे पूरी तरह सुरक्षित और असरदार बताया जा रहा था। यही नहीं, खुद पुदीन की बेटी ने भी वैक्सीन ली थी, जिसका कोई साइड-इफैक्ट देखने को नहीं मिला। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनुमति लेने के बाद बड़े पैमाने पर वैक्सीन का टीकाकरण शुरू किया जाएगा।

दि लैंसेट की रिपोर्ट में क्या कहा गया है?

दि लैंसेट की रिपोर्ट का माने तो, रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी के 2 ट्रायल के नतीजे सफल रहे हैं। इसमें 18 साल से 60 साल वाले 38 स्वस्थ वॉलेंटियर को वैक्सीन दी गई थी। इसके 3 हफ्ते बाद उन्हें दोबारा बूस्टर डोज दी गई, जिससे उनके शरीर में एंटीबॉडी विकसित होनी शुरू हो गई। हालांकि वॉलेंटियर के सिर और जोड़ों में दर्द देखने को मिला। ऐसे में वैक्सीन के लिए लंबी स्टडी की जरूरत है, ताकि पता लगाया जा सके कि वैक्सीन सेफ्टी के साथ कितनी असरदार है।

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क्या है भारतीय वैज्ञानिकों की राय?

भारतीय वैज्ञानिकों के मुताबिक, रूक की वैक्सीन सुरक्षा के लिहाज से तो सही दिख रही है लेकिन टीके के यूज में बचाव की चिंता भी होती है। रूस की तरफ से वैक्सीन प्रोटेक्शन की फिलहाल कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई है। ऐसे में हमें यह नहीं पता कि यह लोगों को कितने समय तक कोरोना वायरस से बचाएगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिक्रिया?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनियाभर में 176 देशों में कोरोना वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं, जिसमें से 34 का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो चुका है। वहीं 8 वैक्सीन आखिरी चरण पर भी पहुंच चुकी है। हालांकि WHO के पास रूस की वैक्सीन की कोई जानकारी ना होने की वजह से उन्हें इस लिस्ट से बाहर रखा गया है।

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बता दें कि कोई भी टीका इस्तेमाल करने से पहले 'सुरक्षा और बचाव' के पैमानों को नापा जाता है। अगर रूस की वैक्सीन इन दोनों पैमानों पर खरी उतरती है तो यह कोरोना की जंग में बड़ी जीत साबित हो सकती है।

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