पूरी दुनिया के लिए आफत बने कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों की उम्मीद वैक्सीन पर टिकी है। दुनियाभर के 180 देश वैक्सीन बनाने की रेस में शामिल है। इसी बीच रूस से आई खबरें लोगों में उम्मीद जगा रही हैं। दरअसल, कोरोना की वैक्सीन बनाने के मामले में रूस सबसे आगे चल रहा है। अब खबर आई है कि रूस की बनाई वैक्सीन का तीसरा ट्रायल भी सफल रहा है।
WHO और दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने रूस की वैक्सीन पर सुरक्षा को लेकर कई सवाल गए थे लेकिन उन्होंने पहली सुरक्षित वैक्सीन 'स्पुतनिक-V' लॉन्च कर दी थी, जिसने अपना तीसरा ट्रायल भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। रूस का दावा है कि उन्होंने कोरोना के खिलाफ वैक्सीन का ट्रायल पूरा कर लिया है।
वैक्सीन से नहीं हुआ कोई साइड-इफैक्ट
मॉस्को ट्रायल में करीब 2,500 वालंटियर को शामिल किया था, जिसपर वैक्सीन का कोई साइड-इफैक्ट नहीं देखने को मिला। वहीं, तीसरे क्लीनिकल ट्रायल में करीब 40,000 वालंटियर शामिल थे और उनपर भी वैक्सीन का कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला। हालांकि रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये नहीं बताया कि दो दिन पहले कितने लोगों को यह टीका लगाया गया था।
साल 2022 तक मिल जाएगी पहली वैक्सीन
वैक्सीन बनाने वाले 'द गामाले साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी' के प्रमुख अलेक्जेंडर गिंस्टबर्ग का कहना है कि कई देशों को वैक्सीन ट्रायल की छोटी खेप दी गई है। सबसे पहले सैंपल वैक्सीन सेंट पीटर्सबर्ग के पास लेनिनग्रैड रीजन में भेजी जाएगी। उन्होंने यह साल 2022 तक कोरोना को मात देने के लिए सुरक्षित वैक्सीन तैयार हो जाएगी।
कैसे करती है काम
अलेक्जेंडर का कहना है कि इसे जल्दबाजी में स्वीकृति दी गई है अगर वैक्सीन का प्रोडक्शन सीमित होता सही रहता। पहले और दूसरे आंकड़ों के मुताबिक, वैक्सीन सेल्युलर और एंटीबॉडी रिस्पांस जेनरेट करती है, जिससे शरीर को कोरोना से लड़ने में मदद मिलती है। अक्टूबर-नवंबर तक वैक्सीन ट्रायल के सटीक नताजे सामने आ जाएंगे। इसके बाद अगले साल फरवरी तक वैक्सीन का अधिक प्रोडक्शन हो पाएगा।
गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन का पंजीयन करवाने वाला रूस पहली देश है। यहां तक कि वैक्सीन की जांच के लिए खुद रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन की बेटी ने खुद यह टीका लगवाया था।