कोविड-19 वैक्सीन को लेकर हमारे मन में अकसर सवाल उठते रहे हैं। जो महिलाएं नवजात शिशु को स्तनपान करा रही हैं उन्हें अकसर वैक्सीन से बचने की सलाह दी जाती है, हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट्स ने इन सभी बातों को गलत बताया है। अब हाल ही में यह बात सामने आई है कि गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करने से उनके नवजात शिशुओं को रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस (RSV) इंफेक्शन से बचाया जा सकता है।
82% प्रभावी है वैक्सीन
रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस उन वायरस में से एक है, जिनके कारण सर्दी-जुकाम होता है। इसकी वजह से फेफड़ों और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से जुड़े इंफेक्शन भी हो सकते हैं। दो साल तक के शिशुओं का इस समस्या से पीड़ित होना बेहद सामान्य है। इसी बीच फाइजर कंपनी का दावा है कि एक बड़े अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में पाया गया कि होने वाली माताओं का टीकाकरण उनके बच्चों के जीवन के पहले 90 दिनों में आरएसवी के गंभीर मामलों को रोकने में लगभग 82% प्रभावी था।
7,400 गर्भवती महिलाओं का किया गया परीक्षण
फाइजर ने कहा कि उसकी योजना साल के अंत तक खाद्य एवं औषधि प्रशासन को डेटा जमा करने की है। कंपनी के सीईओ, अल्बर्ट बौर्ला ने मंगलवार को निवेशकों के साथ एक कॉल पर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वैक्सीन 2023 के अंत या 2024 की शुरुआत में उपलब्ध हो सकती है। कंपनी का कहना है कि परीक्षण में लगभग 7,400 गर्भवती महिलाएं शामिल थीं, जिन्हें अपनी गर्भावस्था के दूसरे से तीसरे तिमाही के अंत के दौरान टीके की एक खुराक दी गई थी। जन्म के बाद कम से कम एक साल तक बच्चों की जांच की गई।
क्या है RSV
आरएसवी वायरस एक तरह का श्वसन तंत्र से जुड़ा संक्रमण है, जो सबसे ज्यादा 5 साल तक के बच्चों में देखा जाता है।इस संक्रमण की वजह से बच्चों में निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म के बाद से ही बोतल से दूध पीते हैं, उनमें इस संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। वयस्कों, बुजुर्गों, स्वस्थ बच्चों में इसके लक्षण हल्के या सामान्य हो सकते हैं। शिशुओं में RSV की समस्या से राहत पाने के लिए उसकी देखभाल जरूरी है। नवजात शिशुओं खासतौर पर प्रीमैच्योर शिशु, बुजुर्ग, हार्ट और फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित या कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में यह समस्या गंभीर हो सकती है।
आरएसवी वायरस इन्फेक्शन के लक्षण
-खांसी, बुखार और जुकाम
-गले में दर्द और खराश
-घबराहट और सांस लेने में परेशानी
-सिरदर्द
-स्किन के रंग में बदलाव
शिशुओं में RSV का क्या है कारण ?
रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस आंख, नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। यह हवा में इंफेक्टेड रेस्पिरेटरी ड्रॉप्लेट्स के माध्यम से आसानी से फैल सकता है। शिशु या वयस्क इसका शिकार तब भी बन सकते हैं, जब उनके आसपास इस वायरस का शिकार कोई व्यक्ति छींकता और खांसता है। बच्चों के खिलौनों, पलंग या अन्य चीजों पर यह वायरस कई घंटों तक जीवित रह सकता है। जब बच्चे इन दूषित चीजों को उठाते हैं और उसके बाद अपने मुंह, नाक और आंखों को छूते हैं, तो वह इस वायरस का शिकार हो सकते हैं।