आंखे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। यह शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जिसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। यदि बाकी अंगों के जैसा इन पर भी ध्यान न दिया जाए तो रेटिनल समस्याएं हो सकती हैं। लोगों को रेटिनल समस्याओं के प्रति जागरुक करने के लिए हर साल विश्व रेटिना दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का महत्व यह है कि रेटिना से जुड़ी बीमारियों का पत्ता लगाया जा सके और समय पर इलाज करवाया जा सके। रेटिना आंखों के अंदर एक पतली परत के रुप में मौजूद होता है। यह परत दृष्टि के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। खराब लाइफस्टाइल और गलत खान-पान के कारण आंखें खराब हो सकती हैं। जिसके कारण आंखों में धुंधलापन आ सकता है। इसके अलावा चक्कर जैसे लक्षण भी शरीर में दिख सकते हैं। यह लक्षण रेटिना की बीमारी के हो सकते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि इस बीमारी से बचने के लिए आपका खान-पान कैसा होना चाहिए...
50 से ज्यादा उम्र के लोग होते हैं बीमारी से ग्रस्त
रेटिना की बीमारी 50 से ज्यादा उम्र के लोगों को हो सकती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह बीमारी लोगों को और भी ज्यादा प्रभावित कर सकती है। इसके कारण आपकी दृष्टि भी प्रभावित होती है। जिसके कारण आपको रंगों में भेद करने और कुछ बारीक चीजों को देखने और समझने में समस्या हो सकती है। डायबिटीक रोगियों में भी रेटिना की समस्या हो सकती है। शुगर के मरीजों में अंधापन या दृष्टि हानि का कारण बन सकती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इस बीमारी के लगभग हर साल 10 लाख मामले सामने आते हैं। यदि मरीजों को समय पर बीमारी का इलाज न मिले और लक्षणों को न समझ पाए तो 5 साल के भीतर वह अंधे भी हो सकते हैं।
ये होते हैं शुरुआती लक्षण
. रंग पहचानने में समस्या होना
. देखते समय काले धब्बे आंखों में महसूस होना
. कोई भी लाइन टेढ़ी-मेढ़ी या फिर लहराते हुए दिखाई देना
. दूर की चीजें साफ दिखाई न देना
बैलेंस डाइट के साथ रखें आंखे स्वस्थ
यदि आप अपनी आंखों को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आपको अपने खान-पान का खास ध्यान रखना होगा। पालक, केला, अंडा जैसे खाद्य पदार्थ आपकी आंखों के रोगों का जोखिम कम कर सकते हैं। विटामिन-सी भरपूर फूड्स आपकी उम्र से संबंधित विजन लॉस की प्रगति को धीमा कर सकते हैं। अलसी, चीया सीड्स, अखरोट, मछली, ओमेगा-3 फैटी एसिड आपके रेटिना के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। इन्हें आप डाइट में शामिल कर सकते हैं।
समय-समय पर करवाएं आंखों की जांच
आप अपनी आंखों की नियमित जांच करवाते रहें। इससे आपको रेटिना संबंधी समस्या का शुरुआत में ही पता चल जाएगा। जिससे आप इस समस्या का इलाज भी समय पर करवा पाएंगे।