भारत में शारीरिक अंगों के साथ होने वाली छोटी-मोटी एक्टिविटी को अंधविश्वास से जोड़कर देखा जाता है। इन्हीं सब धाराणाओं में से एक आंख फड़कना भी शामिल है। ज्यादातर लोग इसे शुभ और अशुभ का कारण मानते हैं। मुख्यतौर पर आंख फड़कना आम बात होती है। पलक की मांसपेशियों में ऐंठन केकारण किसी भी व्यक्ति की आंख फड़कना शुरु हो सकती है। इस वजह से आंखों के फड़कने का असर ज्यादातर ऊपरी पलक पर हो होता है और कुछ मिनट या फिर घंटे में अपने आप ही बंद हो जाती है, लेकिन यदि नीचे और ऊपर दोनों की पलकें फड़कने लगे और ऐसी समस्या हफ्तों तक या फिर इससे ज्यादा समय तक बनी रहे तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकती है।
क्यों फड़कती हैं आंख?
आंखों के फड़कने को मेडिकल भाषा में म्योकेमिया कहते हैं। जब आंकों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं तो आंख फड़कने लगती है। इसके कई कारण हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में स्ट्रेस, आई स्ट्रेन, नींद की कमी और एल्कोहल का सेवन होता है। इसके अलावा जिन्हें विजन संबंधी प्रॉब्लम्स होती है उनकी आंखों पर ज्यादा जोर पड़ने के कारण यह फड़कने लगती है।
ये कारण हो सकते हैं जिम्मेदार
ज्यादा मात्रा में कैफीन वाली चाय, कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक्स और चॉकलेट खाने के कारण हो सकती है। हालांकि इन सभी कारणों से यदि आंख फड़क रही है तो वह एक-दो दिन में बंद हो जाती है। NIH की एक रिपोर्ट्स की मानें तो कई दिनों तक यदि आपकी आंख फड़कती है तो यह गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है।
बिनाइन इसेन्शियल ब्लेफेरोस्पाज्म
इसे आंख से जुड़ी एक गंभीर बीमारी माना जाता है। यह बीमारी तब होती है जब आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं इसके कारण आंखों को नुकसान हो सकता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति जब अपनी पलकें झपकाता है तो उसे दर्द महसूस होती है। इसके चलते कई बार आंखों को खोलने में भी मुश्किल होती है। आंखों में सूजन और धुंधला नजर आने लगता है। पलक के आंखों के आसपास की मांसपेशियां भी फड़कने लगती हैं।
आईलिड मायोकेमिया
इस स्थिति में आंखों का फड़कना हल्का होता है। यह सबसे सामान्य कारण है जो कि लाइफस्टाइल से जुड़ा हुआ है। हालांकि यह कभी-कभार ही होता है। कुछ घंटों या फिर एक-दो दिन में यह खुद ही ठीक हो जाती है। यह स्ट्रेस, आंखों की थकावट, कैफीना का ज्यादा सेवन, नींद का पूरा ना होना या फिर मोबाइल और कंप्यूटर का ज्यादा इस्तेमाल करने होता है।
हेमीफेशियल स्पाज्म
इस बीमारी के कारण चेहरे का आधा हिस्सा सिकुड़ जाता है और इसका असर आंखों पर भी पड़ता है। इस बीमारी की वजह से पहले आंख फड़कती है फिर गाल और मुंह की मांसपेशियां भी फड़कने लग जाती हैं। यह मुख्यतौर पर किसी तरह की जलन और चेहरे की नसें सिकुड़ने के कारण होता है। इसके कारण आंख लगातार फड़कती रहती है। इसमें बैन पल्सी, सर्विकल डिस्टोनिया, मल्टीपल सेलोरोसिस और पार्किन्स जैसे विकार भी शामिल हैं।
कैसे रखें ख्याल?
डाइट
यदि आपको आंख फड़कने की समस्या ज्यादा होती है तो डाइट में कैफीन वाली ड्रिंक्स और जंक फूड कम करें। डेली डाइट में हरी सब्जियां, शामिल करें। खूब सारा पानी पिएं इससे शरीर डिटॉक्स होगा और शरीर को कई सारे पोषक तत्व मिलेंगे।
आंखें चेक करवाएं
नियमित रुप से आंखों को जरुर चेक करवाते रहें। यदि आंखे कमजोर पड़ती हैं तो उनका समय पर इलाज करवाएं। इससे आंखों पर कम दबाव होगा और वह अच्छी तरह से काम कर पाएंगी।
आंखों को दे आराम
यदि आपको आंख बार-बार फड़कती है तो उसे आराम दें। लंबी सैर और एक्सरसाइज करें। खुद को दोस्तों या फिर परिवार के बीच में व्यस्त रखें। यदि समय मिले तो अच्छी नींद लें इससे आपकी आंख फड़कना कम हो जाएगी। इसके अलावा इस दौरान मोबाइल या फिर टीवी चलाने से बचें।
आई ड्रॉप
यदि आप लंबे समय तक कंप्यूटर पर समय बिताते हैं तो डॉक्टर की सलाह से आई ड्रॉप जरुर इस्तेमाल करें। दिन में 2-3 बार इसे आंखों में डालें। इससे आपकी आंखों में जरुरी नमी बनी रहेगी और ड्राई आई की समस्या भी दूर होगी।
नोट: यदि फिर भी समस्या बढ़ती है तो डॉक्टर से संपर्क जरुर करें।