इस बागदौड़ भरी लाइफ में हम इतने बीजी हो गए हैं कि अपने बच्चों और परिवार को उचित समय ही नहीं दे पाते। कांपिटिशन के इस माहौल में हम ये भूल जाते हैं कि अपने परिवार को समय न दे पाने से कितनी ही प्रकार की गलतफहमियां पैदा हो जाती हैं। अगर हम बड़े ही ऐसा करेंगे तो बच्चे हम से यही सब सीखेंगे। लेकिन समस्या यही आ जाती है कि इस ऐसे गला काट प्रतियोगिता के चलते बच्चों तक अच्छे विचार व संस्कार कैसे पहुंचाए जाएं। अगर बच्चों में शुरु से ही संस्कार होते हैं तो आने वाले भविष्य में माता-पिता को किसी भी प्रकार की चिंता नहीं रहती। तो आज हम आपको बताएंगे धार्मिक ग्रंथ रामायण से सीखने वाली ऐसी बातें, जिनकी सीख आपको अपने बच्चों को जरूर देनी चाहिए।
ईश्वर में आस्था रखना
जब बच्चा छोटा है तभी से ही उसमें ईश्वर के प्रति आस्था जागृत करनी चाहिए। विश्वास से कठिन से कठिन व असंभव काम को भी किया जा सकता है। अगर भगवान पर अटूट विश्वास बना रहे तो कोई भी काम आसानी से पूरा हो सकता है। क्योंकि ईश्वर में भक्ति होने से सही काम करने की प्रेरणा मिलती है और मन गलत कामों की तरह नहीं जाता। उनको इस बात का पता होना चाहिए कि भगवान सब कुछ देखते हैं इसलिए हमें सदेव अच्छे क्रम करने ताहिए।
हमेशा करना चाहिए बड़े-बुजुर्गों का आदर करना
अपने बच्चों को यह जरूर सीखाएं कि बड़ों से और छोटों से किस तरह बात की जाती है। उनका आदर करना, बड़ों का कहना मानना आदि प्रकार की जरूरी बातें बचपन से ही सीखा देनी चाहिए। पैर छूना, बड़े-बुजुर्गों का ख्याल रखना और उनके पैर दबाना इन तमाम बातों के बारे में उन्हें पता होना जरूरी है। अगर ये गुण उनमें विकसित हो जाते हैं तो उन्हें जिंदगी में सफल व्यक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। बच्चों को यह भी समझाएं कि वे कुछ देर बुजुर्गों के पास बैठें ताकि बड़ों-बुजुर्गों ने जो भी अपने जीवन काल में सीखा, देखा और अनुभव किया उसका सार वे बच्चों तक पहुंचा सकें जिससे मुश्किल परिस्थ्ति में बडो़ं की बताई बात को ध्यान में रखकर उपयोग मे लाया जा सके।
सुबह जल्दी उठने की आदत
बच्चों को प्रात काल उठने की आदत डाल देनी चाहिए ताकि आगे चलकर व आलस्य न करे और अपने सभी कामों को समय रहते पूरा कर लें। यह सभी जरूरी चीजें अपने बच्चों को दैनिक दिनचर्या के रूप में अवश्य सिखाएं। बच्चों के अंदर संस्कारों में से यह सबसे उपयोगी चीजों में से एक है।
सहयोगी बनना भी है जरूरी
किसी भी जरूरतंद के प्रति दिल में अच्छी भावना रखना सीखाना चाहिए। बच्चों को इस बात से अवगत करवाए कि किसी भी प्रकार के जरूरतमंद लोगों को सहयोग प्रदान करने से उनको ईश्वर द्वारा आशीर्वाद प्राप्त होता है। कितना भी कठिन कार्य हो यदि एक-दूसरे का सहयोग होगा तो वह कार्य आसानी से हो सकता है। बच्चों के अंदर सहयोग की भावना जागृत करने के लिए उनको छोटे-छोटे कार्यों में सहयोग करने का अवसर प्रदान करें. बच्चों को छोटे-छोटे कामों को करने की जिम्मेदारी प्रदान करें और उनको उनकी जिम्मेदारी के प्रति जागरूक करें और उनकी सहायता भी करें।
मित्रता व प्रेम की भावना
अपने बच्चों को लोगों की पहचान करना आवश्य सिखाएं। दोस्ती किस तरह के लोगों से करनी चाहिए और किन से नहीं इस बात का फर्क उन्हें पता होना चाहिए। उन्हें दोस्ती का मतलब और महत्व भी समझाना चाहिए। किसी की भी बातों में आना गलत बात है, इस तरह की छोटी-छोटी बातों से बच्चों में अच्छे संस्कार आते हैं। बच्चों के दिल में दूसरों के प्रति प्रेम भावना भी होनी चाहिए। आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना के बल पर वह अपने परिवार विद्यालय एवं समाज में अपनी छवि को अच्छा कर सकते हैं। बच्चों को जरूरतमंद लोग जैसे गरीब, बेसहारा, अनाथ एवं अपंग लोगों के प्रति सहानुभूति एवं करुणा की भावना सिखाएं। उनको बताएं , कि ऐसे जरूरतमंद लोगों सेवा करने से ईश्वर सदैव उनका बुरे वक्त में साथ देते हैं।
समय की कीमत
बच्चों को खास तौर पर इस बात का एहसास करवाएं कि समय तितना किमती है और जो व्यक्ति समय की कदर करता है समय भी उसी की कदर करता है। अगर हम किसी भी कार्य को समय पर पूरा नहीं करेंगे तो उसका भारी नुकसान भी हो सकता है। समय पर किया गया कार्य सदैव आपके लिए लाभकारी सिद्ध होता है। समय का सदुपयोग करना सिखाए और उनको बताएं कि उनको किस समय पढ़ना है ? कब खेलना है ? कब खाना है ? इन सभी चीजों को समय पर करना आवश्यक है ,यह भी जरूर बताएं।
ईमानदारी होना भी है जरूरी
अगर बड़े लोग बच्चों के सामने झूठ बोलेंगे तो बच्चें भी वहीं सीखेंगे। इसलिए बड़ों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि बच्चों के कानों में झूठी बातें न पड़ें। उन्हें ये सिखाएं कि हर परिस्थिति में हमेशा सच बोलना चाहिए और सच का ही साथ देना चाहिए। किसी भी प्रकार का इमानदारी से किया गया कार्य हमेशा आपको सही परिणाम देगा। बच्चों को बताएं कि आपको आगे चलकर लोग सत्य और ईमानदारी के रास्ते से भटकाने की कोशिश करेंगे. परंतु आपको सदैव सत्य का साथ देना है, इसके लिए आप राजा हरिश्चंद्र की कहानी भी अपने बच्चों को सुना सकते हैं।
कर्तव्यनिष्ठा की भावना
अपने बच्चों के अंदर कर्तव्यनिष्ठा की भावना जरूर सिखानी चाहिए। बच्चों को बताएं कि अपने परिवार के प्रति, देश के प्रति, अपने गुरु के प्रति, अपने स्कूल के प्रति, अपने बड़ों और छोटों के प्रति अलग-अलग कर्तव्य होते हैं। उनको अवश्य निभाना चाहिए।
देश के प्रति सदभावना
देश के प्रति उनकी भावना एवं सम्मान अवश्य सिखाएं। बताएं कि देश का सम्मान करना चाहिए क्योंकि, उनका देश उनकी हर परिस्थिति में सहारा होता है। बच्चों को बताएं कि आपको देश के प्रति सभी जरूरी कर्तव्य को करना आवश्यक है। अपने बच्चों को भगत सिंह, महात्मा गांधी, उधम सिंह और अन्य वीर पुरुषों की कहानी सुनाएं और उनके बलिदान के बारे में उनको बताएं।
सहन शक्ति जागृत करें
बच्चों के अंदर सहनशक्ति की भावना जागृत करनी चाहिए और इसकी महत्वता के बारे में भी बताना चाहिए। परंतु आजकल के बच्चों के अंतर सहनशक्ति का अत्यधिक आभाव है। आजकल के बच्चे किसी भी चीज को पाने के लिए सहनशीलता नहीं दिखाते हैं। बच्चों को यह जरूर बताएं कि किसी भी कार्य को सहनशीलता से करना चाहिए क्योंकि, सहनशीलता से किया गया कार्य सदैव आपके हित में होता है।
अच्छा चरित्र
स्त्रियों के प्रति चरित्र को साफ व स्वच्छ रखना बेहद जरूरी है। उनको हमेशा सम्मान देना चाहिए। बच्चों को यह भी समझाएं कि अगर एक बार किसी ने उनके चरित्र पर उंगली उठा दी तो सब दोबारा सही नही हो सकता। आजकल का माहौल धोखे और विश्वासघात से भरा हुआ है। इसीलिए उनके आसपास के लोगों एवं फरेबी दोस्तों से सदैव सावधान एवं सचेत रहें।