महिलाओं को अक्सर पेड़ू यानी नाभि के नीचे के हिस्से में दर्द रहती हैं। महावारी के दिनों में ऐसा होना आम है लेकिन बिना पीरियड्स के पेड़ू में दर्द पीआईडी यानि पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज का संकेत हो सकता है। पीआईडी यानि पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज महिलाओं को होने वाला एक आम रोग है, जिसके कारण प्रजनन अंगों में इंफैक्शन और सूजन आ जाती है लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज ना किया जाए तो यह प्रेग्नेंसी में बाधा डाल सकता है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है यह बीमारी और कैसे करें इसका इलाज।
क्या है पीआईडी रोग?
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) महिलाओं को होने वाली एक ऐसा संक्रमित रोग है, जिसमें गर्भाशय, डिम्बवाही ट्यूबों व अंडाशय में इंफैक्शन और सूजन आ जाती है। दरअसल, जब बैक्टीरिया योनि में प्रवेश करता है तो उससे पेल्विक भी प्रभावित हो जाता है। फिर यह संक्रमण गर्भाशय ग्रीवा से डिम्बवाही ट्यूबों तक फैल जाता है और उनमें सूजन आ जाती है। एक सर्वे के अनुसार क्रमशः 5.2%, 16.5% और 17.2% महिलाओं में यह समस्या देखने को मिलती है।
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के कारण
आमतौर पर यह बीमारी बैक्टीरियल इंफैक्शन के कारण ही होती है लेकिन इसका एक कारण गोनोरिया और क्लेमाइडिया भी है। अगर गोनोरिया और क्लेमाइडिया का सही तरीके से इलाज ना करवाया जाए तो इस बीमारी का खतरा 90% तक बढ़ जाता है। इसके अलावा गर्भपात करवाना, एक से ज्यादा व्यक्ति के साथ संबंध बनाना, बिना सेफ्टी संबंध बनाना या कम उम्र में संबंध बनाने से इस बीमारी की आंशका ज्यादा होती है।
किन महिलाओं को अधिक खतरा
-गर्भावस्था में किसी प्रकार के आईयूडी डिवाइस का इस्तेमाल।
-जिन महिलाओं को पहले भी कभी यह बीमारी हुई हो उनको इसके दोबारा होने की संभावना होती है।
-असुरक्षित और एक से अधिक संबंध बनाने वाली महिलाओं को भी इसका खतरा अधिक होता है।
-योनि में होने वाले अन्य किसी संक्रमण के कारण।
बीमारी के लक्षण
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के लक्षण दूसरे यौन संचारित रोगों (जैसे यूटीआई) के समान ही होते हैं इसलिए इसका आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है। हालांकि इन संकेतों को नजरअंदाज करने की बजाए जांच करवाएं।
-पेट के निचले या ऊपरी हिस्से में तेज दर्द।
-योनि में असामान्य पीले या हरे रंग स्राव होना।
-पेशाब के समय दर्द और जलन होना।
-ठंड लगना या तेज बुखार होना।
-मिचली और उल्टी आना।
-मासिक धर्म का अनियमित होना।
-थकान और आलस रहना।
-पीठ में दर्द की समस्या
पीआईडी के लिए टेस्ट
अभी तक पीआईडी जांच के लिए कोई स्थिर तरीका मौजूद नहीं लेकिन फिर भी इसके लक्षणों से इस बीमारी का पता लगाया जाता है। अगर लक्षण मिलेत-जुलते हो तो डॉक्टर योनि और गर्भाशय ग्रीवा के अंदर रूई का यूज करके नमुना लेते हैं। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड स्कैन द्वारा भी इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
उपचार
इस बीमारी में डॉक्टर एंटीबायोटिक के एक कोर्स करवाते हैं, जिसमें एक से अधिक एंटीबायोटिक द्वारा बैक्टीरिया की रेंज को कवर किया जाता है। हालांकि इसके बाद भी महिला को दोबारा यह रोग होने की संभावना बनी रहती है। इसके अलावा अगर स्थिति ज्यादा गंभीर हो तो डॉक्टर ऑपरेशन का सहारा भी ले लेते हैं।
हैल्दी डाइट है इलाज
इस बीमारी से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि बेहतर देखभाल, सही डाइट और एक्सरसाइज। इसके अलावा कम उम्र, असुरक्षित और एक से अधिक पुरुषों के साथ संबंध बनाने से बचे। वहीं अगर आप गोनोरिया और क्लेमाइडिया से पीड़ित है तो उसका प्रोपर इलाज करवाएं।