कोरोना काल में लोगों के पास ना तो रोजगार बचा है और ना ही हिम्मत, विश्वास व हौंसला। मगर, ऐसे में गरीब लोगों की मदद के लिए आगे आई मेरठ की 27 साल की इंजीनियरिंग बेटी पायल अग्रवाल, जो अपने गजब आइडिया से लोगों को रोजगार दिला रही है।
केंचुए से खाद बना रही पायल
मेरठ की रहने वाली पायल एक साधारण परिवार से हैं। उन्होंने बीटेक की पढ़ाई की लेकिन बाकी सारे लोगों की तरह पायल लाखों की नौकरी नहीं बल्कि कुछ अलग करना था। हालांकि उन्होंने सरकारी नौकरी, बैंक पीओ, क्लर्क के लिए एग्जाम दिए लेकिन खास सफलता नहीं मिली। ऐसे में उन्होंने खुद की वर्मी-कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) बनाने का स्टार्टअप शुरू किया, जिससे आज वह ना सिर्फ लाखों कमा रही हैं बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा भी बन गई है।
कैसे आया आइडिया?
पायल को वर्मी खाद बनाने का आइडिया यूट्यूब से मिला। हालांकि वह 7वीं-8वीं क्लास में भी इसके बारे में पढ़ चुकी थी इसलिए उन्हें इसकी समझ थी। इसलिए उन्होंने सोचा क्यों ना किचन वेस्ट से खाद बना ली जाए। वह सब्जियों-फलों के छिलके व पानी को एक कंटेनर में डालकर 15 दिनों सड़ने देती हैं। इसके बाद वो इसमें गोबर मिला देती थीं, जिससे महीनेभर में खाद बन जाती है। हालांकि तब उन्होंने इससे बिजनेस करने के बारे में नहीं सोचा था।
गर्मी की छुट्टियों में जब वह अपनी मौसी के घर राजस्थान गईं तो वहां केंचुए की यूनिट देखी। वह 1 कि.लो. केंचुआ खरीद लाई और गोबर मिलाकर खाद बनानी शुरू की। हालांकि तब वह शौकिया तौर पर अपने घर के बगीचे में ही खाद बनाती थी। 2 साल कॉम्पीटिटिव एग्जाम में सफलता न मिलने के बाद उन्होंने वर्मी कम्पोस्ट का काम करने की ही सोची। बस यहीं से हुई पायल के बिजनेस की शुरुआत।
कर चुकीं है कई यूनिट की शुरूआत
अब ज्यादा खाद बनाने के लिए पायल को जमीन की जरूरत थी इसलिए उन्होंने बंजर जमीन ली क्योंकि उसकी किराया कम था। इसके साथ ही उन्हें ऐसे केंचुए की जरूरत थी जो हर मौसम में जिंदा रहे। लिहाजा 40 हजार रु किराए पर जमीन लेकर पायल ने 'ग्रीन अर्थ आर्गेनिक संस्था' की शुरूआत की और ऑस्ट्रेलियन ब्रीड केंचुए से खाद बनाना शुरू कर दिया।
इन्वेस्टमेंट हजार तो मुनाफी लाखों में...
खाद बाने के लिए एक बेड तैयार करने में पायल को 8-9 हजार रुपए का खर्च आता है लेकिन मुनाफा लाखों में होता है। आज उनके इस स्टार्टअप डायरेक्ट व इनडायरेक्ट रूप से 35-40 लोग जुड़ चुके हैं, जिसकी मदद से वह हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और उत्तराखंड राज्यों में कई यूनिट शुरु कर चुकी हैं।
कभी खराब नहीं होती खाद
खास बात तो यह है कि वर्मी खाद 1 साल तक खराब नहीं होती इसलिए अगर तुरंत खाद नहीं बिकती तो परेशानी नहीं होती। बता दें कि पायल ने 2 लाख के निवेश से यह बिजनेस शुरू किया था लेकिन अब उन्हें इसका दोगुणा मिलता है। वह करीब 2 साल से केंचुआ की खाद बना रही हैं, जिससे हर महीने में 1 लाख रुपए से ज्यादा का मुनाफा हो जाता है। वह हर 2 महीने में टन केंचुए की खाद बनाती है, जिसकी लागत ढ़ाई रु प्रति कि.लो. है।