बदलता मौसम अपने साथ कई तह की बीमारियां लेकर आता है। ऐसे में बच्चों की ख्याल रखना बड़ी चुनौती बन जाता है। क्योंकि ऐसे मौसम में उन्हें कई प्रकार के संक्रमण, एलर्जी व अन्य समस्याएं होने का खतरा हो जाता है। इन दिनों बड़े और व्यस्क लोगों की तरह बच्चों में भी सांस से जुड़ी बीमारियां देखने को मिल रही है। हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि शैशवावस्था में श्वसन संबंधी संक्रमण होने पर 26 से 73 साल की आयु के बीच सांस संबंधी किसी बीमारी से मौत का जोखिम बढ़ जाता है।
सांस की पुरानी बीमारियां बेहद खतरनाक
लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक श्वसन संबंधी रोगों से समय-पूर्व मृत्यु के कुल मामले कम हैं, लेकिन दो साल की उम्र तक ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसे निचली श्वसन नलिका संक्रमण (एलआरटीआई) से ग्रसित होने वाले लोगों के वयस्क होने पर सांस संबंधी बीमारी से समय-पूर्व मृत्यु का खतरा 93 प्रतिशत अधिक होता है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि सांस की पुरानी बीमारियां सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या है। अध्ययन के अनुसार शिशुओं में एलआरटीआई होने के बाद उन्हें वयस्क अवस्था में फेफड़ों का संक्रमण, दमा और सीओपीडी का खतरा होता है।
क्या है एलआरटीआई
अध्ययन में 3,589 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें से 25 प्रतिशत को दो साल की उम्र से पहले एलआरटीआई था। 2019 के अंत तक 19 प्रतिशत प्रतिभागियों की 73 साल की उम्र पूरी होने से पहले मृत्यु हो गयी। बता दें कि लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (Lower Respiratory Tract Infection) एक गंभीर स्थिति है, जो आपके वायुमार्ग और फेफड़ों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती है, जिसके कारण पीड़ित को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर समय रहते इनका उपचार नहीं किया जाता है, तो इससे व्यक्ति को गंभीर सांस संबंधी समस्याओं का सामना कर सकता है।
शुरू से ही बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत
नवजात शिशु अपना अधिकांश समय सोते हुए बिताते हैं, लेकिन उन्हें हर कुछ घंटों में जागना चाहिए। यदि उसके सामान्य पैटर्न में अचानक कोई बदलाव आता है, तो आपको विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए - यह एक गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। अगर आपका बच्चा अचानक हीघ रघराहट या सीटी जैसी आवाज निकालता है तो इसका कारण रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट में इंफेक्शन हो सकता है। अगर बच्चे में जन्म से ही यह समस्या है, तो आगे जाकर यह और बढ़ सकती है।
लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के कारण
-धूल-मिट्टी
-हानिकारक केमिकल के कण
-भाप और धुंआ
-एलर्जी या संक्रमण के कण
-वायु प्रदूषण आदि।
बच्चे को कब लेकर जांए डॉक्टर के पास
बच्चा लगातार बहुत तेज़ सांस ले रहा है तो डॉक्टर से करें संपर्क
त्वचा और होठों पर सांवला या नीला धब्बा होना भी खतरनाक है।
सांस लेते समय बच्चे की पसलियां अंदर खींचती है तो उसे डॉक्टर के पास ले जाएं।
बच्चा खाने-पिने को राजी नहीं होता या फिर काफी दिनों से सुस्त हो रहा है तो उस पर ध्यान देने की जरुरत है।