गर्भावस्था हर महिला के जीवन का सबसे बड़ा चैलेंज पीरियड होता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के फिजिकल और हार्मोनल चेंजेस होते हैं जिससे महिलाओं के शारीरिक और मानसिक विकास पर बहुत असर पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के हर तरह के खान-पान का असर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है, फिर चाहें वह दवाइयां ही क्यों न हों। इसी बीच महिलाओं को बेहद सतर्कता की जरूरत पड़ती है, यानि कि इस दौरान किसी भी दवा का सेवन करने से पहले यह जानना लेना बहुत जरूरी है कि उससे बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल का इस्तेमाल से बच्चे पर पड़ता है बूरा असर-
वहीं एक नए अध्ययन में गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल के इस्तेमाल को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई हैं। यूरोपियन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार जन्म से पहले जो बच्चे पेरासिटामोल के संपर्क में आते हैं उनमें ऑटिज्म के लक्षण देखे गए हैं।
सर्वें में 70,000 से अधिक बच्चों में दिखा ऑटिज्म के लक्षण-
यूरोपियन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन का नेतृत्व बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (ISGlobal) ने किया है। इस अध्ययन में छह यूरोपीय समूहों में 70,000 से अधिक बच्चों में Attention deficit hyperactivity disorder (ADHD) और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम स्थितियों (एएससी) के लक्षण देखने को मिले हैं, ये वो बच्चे हैं जिनकी माताओं ने गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल (एसिटामिनोफेन) का उपयोग किया है।
गर्भावस्था के दौरान कितना पेरासिटामोल लेना चाहिए?
गर्भावस्था के दौरान जितना संभव हो सके दवाओं से परहेज़ करें। यदि आपको दर्द या बुखार रहे तो पेरासिटामोल लेने की आवश्यकता पड़ती है, तो कोशिश करें की सबसे कम खुराक लें। जेनरल डोस यानि 500mg से 1000mg तक लेना इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कितना दर्द है और कितनी तेज बुखार है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल की कम से कम डोस लेनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बगैर तो बिल्कुल भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल लेने से कौन सी होती है कॉम्प्लीकेशन्स?
हालांकि पेरासिटामोल एक सेफ ड्रग है और यह गर्भावस्था से जुड़ी समस्याओं जैसे कि प्रीमैच्योर बर्थ, स्टिल बर्थ और मिसकैरज आदि का खतरा पैदा नहीं करता है। लेकिन एक रिसर्च के अनुसार प्रेगनेंसी के दौरान पेरासिटामोल का सेवन करने से कुछ कॉम्प्लिकेशन होने की संभावना हो सकती है। जैसे कि-
जन्म दोष- गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान अधिक मात्रा में पेरासिटामोल का सेवन न करें इससे बच्चे में जन्म दोष हो सकता है। रिसर्च के अनुसार, कई बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण देखे गए हैं।
- पहली तिमाही के दौरान बच्चे के अंग विकसित होते हैं और पेरासिटामोल का सेवन करने से टेस्टोस्टेरोन लेवल कम हो जाता है, जो गर्भ में सिधे बच्चे को प्रभावित करता है।
बच्चे के मस्तिष्क को हो सकता है नुकसान- गर्भावस्था के दौरान खाई जाने वाली कोई भी दवा बच्चे के विकासशील मस्तिष्क को नुकसान कर सकती है। स्टडी से यह भी पता चलता है कि पेरासिटामोल के कारण बच्चे में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) के होने की संभावना हो सकती है।
बच्चे को अस्थमा जैसी बीमारी हो सकती हैं- गर्भ में ही दवा के संपर्क में आने से कई बच्चे को अस्थमा की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल या किसी अन्य दवा का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत जरूरी है।
पेरासिटामोल की जगह करें ये घरेलू उपचार-
-अगर गर्भावस्था के दौरान बुखार आता है तो अपने शरीर के तापमान को कम करने के लिए गुनगुने पानी से स्नान करें ।
-गर्भावस्था के दौरान हल्के या तेज बुखार में एक कपड़ें को ठंडे पानी से गीला करें और इसे अपने माथे पर रखें। शरीर के तापमान को कम करने के लिए इस प्रक्रिया को दोहराएं।
-गर्म सूप का सेवन करें और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। बुखार में ज्यादा से ज्यादा लिक्वड का सेवन करें।
-बॉडी मसाज कराने से शरीर को दर्द से राहत मिलती है और दर्द दूर करने का एक अच्छा तरीका भी है, खासकर जब आपको पीठ और कूल्हे में दर्द हो रहा हो।
-अपनी मांसपेशियों को मजबूत करने और अपनी स्टैमिना बढ़ाने के लिए प्रीनेटल योगा करें।
-शरीर में दर्द और तनाव को दूर करने के लिए मैडिटेशन करें इससे चिड़चिड़ाहट और दर्द को कम करने में मदद मिलती है।
केवल तभी करें पेरासिटामोल का इस्तेमाल-
गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल केवल तभी लिया जाना चाहिए जब बुखार या दर्द असहनीय हो जाए या उपरोक्त घरेलू उपचार कोई मदद न कर पा रहे हों।