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फूलों से सजा केरल का हर  मोहल्ला-हर गली,  खूबसूरती से मनाया जा रहा ओणम का त्योहार

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 08 Sep, 2022 05:35 PM
फूलों से सजा केरल का हर  मोहल्ला-हर गली,  खूबसूरती से मनाया जा रहा ओणम का त्योहार

केरल में करीब दो साल बाद लोगों ने ओणम का त्योहार पूरे जोश व उल्लास के साथ मनाया। कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण लगी तमाम पाबंदियों के कारण पिछले दो साल में त्योहार के रंग फीके पड़ गए थे।  इस साल लोगों ने घर की चार दीवारी से बाहर निकलर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ त्योहार का जश्न मनाया।  इस समय केरल की हर गली, मोहल्ला, घर और दुकानें सजी हुई हैं। 

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केरल का प्रमुख त्यौहार है ओणम

इस दक्षिणी राज्य में लोगों ने घरों को सजाया, रंगों तथा फूलों से रंगोली बनाई। परिवार के सदस्यों ने एक-दूसरे को ‘ओनाक्कोडी’ (नए कपड़े) भेंट की और केले के ‘चिप्स’ सहित केरल के खास व्यंजन तैयार किए। गांवों में लोगों ने अपने घरों के आंगन में ऊंचे झूले भी लगाए। ओणम, केरल का प्रमुख वार्षिक त्योहार है। यह मलयालम कैलेंडर में ‘चिंगम’ मास की थिरुवोणम तिथि पर पड़ता है। यह पर्व केरल में फसल की कटाई से जुड़ा है।

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क्यों मनाया जाता है ये त्यौहार


पौराणिक कथाओं के अनुसार, केरल पर कभी एक उदार असुर (राक्षस) राजा 'महाबली' का शासन था। उसके शासन काल में सभी समान थे और छल-कपट और चोरी की कोई घटनाएं नहीं होती थीं। कहा जाता है कि महाबली की लोकप्रियता से ईर्ष्या करने वाले देवताओं ने भगवान विष्णु की मदद से उन्हें पाताल लोक में पहुंचा दिया था, लेकिन उन्हें हर साल थिरुवोणम तिथि पर केरल लौटने की अनुमति दे दी थी। केरलवासी ओणम को राजा महाबली की घर वापसी के रूप में मनाते हैं।

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कई खेलों का उत्सव है ओणम

इस मौके पर लोग वल्लम काली नामक नाव दौड़, पुलिकली नामक बाघ नृत्य, भगवान या ओनाथप्पन की पूजा, रस्साकशी, थुम्बी थुल्लल में भाग भी लेते हैं। वहीं, महिलाएं नृत्य अनुष्ठान, मुखौटा नृत्य या कुम्मत्तिकली, ओनाथल्लू या मार्शल आर्ट, ओनाविलु/संगीत, ओनापोटन (वेशभूषा), अन्य मनोरंजक गतिविधियों के बीच लोक गीत गाते हुए इस उत्सव को सेलिब्रेट करती हैं

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18 दिन तक मनाया जाता है ये त्यौहार

ओणम मलयालम कैलेंडर के पहले माह चिंगम के प्रारंभ में मनाया जाता है। यह पर्व चार से दस दिन तक चलता है जिसमें पहला और दसवां दिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। हर घर के सामने फूलों की रंगोली सजाने और दीप जलाने की भी परंपरा है। तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं।इस मौके पर केरल में बोट महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है। हर साल इस बोट रेस को देखने के लिए लाखों की संख्या में पर्यटक केरल पहुंचते हैं।
 

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