29 APRMONDAY2024 12:59:17 AM
Nari

पत्नी ही नहीं पति भी मांग सकता है गुजारा भत्ता, जानें क्या कहता है देश का कानून

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 22 Apr, 2022 11:55 AM
पत्नी ही नहीं पति भी मांग सकता है गुजारा भत्ता, जानें क्या कहता है देश का कानून

पति पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद में जब गुजारे भत्ते की बात आती है तो ज्यादातर आदेश पत्नियों के पक्ष में जाते है, लेकिन कानून में दोनों को एक दूसरे से गुजारा भत्ता मांगने और पाने का अधिकार है। क्योंकि भारतीय अदालतें अब हालातों को देखते हुए महिलाओं के हित में बने कानूनों पर अलग तरीके से फैसला कर रही हैं। हाल ही में एक कोर्ट ने  एक महिला को आदेश दिया है कि वह अपने पूर्व पति को 3 हजार रुपये गुजारा भत्ता देगी।


क्या है गुजारा भत्ता

पत्नी, नाबालिग बच्चों या बूढ़े मां-बाप, जिनका कोई अपना भरण-पोषण का सहारा नहीं है और जिन्हें उनके पति या पिता ने छोड़ दिया है या बच्चे अपने मां बाप के बुढापें में उनका सहारा नहीं बनते हैं और उनको भरण-पोषण का खर्च नहीं देते हैं तो धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत ऐसे व्यक्ति खर्चा गुजारा प्राप्त करने का अधिकार रखते हैं।

PunjabKesari

महिला को दिया था गुजारा भत्ता देने का निर्देश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले में महिला को अपने पूर्व पति को हर महीने 3,000 रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था। तलाक के बाद पति ने याचिका दायर करते हुए कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और पत्नी के पास जॉब है जिसे देखते हुए उसने पत्नी से 15,000 रुपये प्रति माह की दर से स्थायी गुजारा भत्ता देने की मांग की। पति ने अपनी याचिका में यह भी कहा था कि पत्नी को पढ़ाने में उसका काफी योगदान था।

PunjabKesari
 गुजारा भत्ता कानूनों का होता था दुरुपयोग

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि-  हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 24 और 25 को एक साथ पढ़ने से पता चलता है कि अगर पति या पत्नी में से किसी एक की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और दूसरे की माली हालत अच्छी है तो पहला पक्ष गुजारे भत्ते की मांग कर सकता है। अदालतों के इस तरह फैसलों को को देखते हुए अन्य विवाह और गुजारा भत्ता कानूनों के दुरुपयोग का खतरा कम होता दिख रहा है। .

PunjabKesari

इस प्रकार हैं अलग-अलग धर्मों के नियम

हिंदूः हिंदू मैरेज ऐक्ट 1955(2) और हिंदू अडॉप्शन ऐंड मेन्टिनेंस ऐक्ट, 1956 के तहत महिलाओँ को तलाक के बाद गुजारा भत्ता मांगने का हक है।

मुस्लिमः मुस्लिम विमिन(प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन डिवॉर्स) ऐक्ट, 1986 के तहत बीवी को इद्दत की अवधि के दौरान गुजारा खर्च देना होता है और महर की रकम वापस करनी होती है।

ईसाईः इंडियन डिवॉर्स ऐक्ट 1869 के सेक्शन 37 के तहत तलाकशुदा पत्नी सिविल या हाई कोर्ट में जीवनयापन के लिए गुजारा भत्ते की मांग कर सकती है।

पारसीः पारसी मैरेज ऐंड डिवॉर्स ऐक्ट, 1936 के तहत अगर महिला तलाक के बाद दूसरी शादी न करने का फैसला करती है तो वह बतौर गुजारा भत्ता पति की नेट इनकम के अधिकतम पांचवे हिस्से की हकदार है।

 

Related News