18 APRTHURSDAY2024 3:12:58 PM
Nari

कोरोना ही नहीं, 100 साल पहले भी स्पेनिश फ्लू भी मचा चुका भारी तबाही

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 28 Apr, 2020 01:05 PM
कोरोना ही नहीं, 100 साल पहले भी स्पेनिश फ्लू भी मचा चुका भारी तबाही

दुनियाभर में कर मचा चुका कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। सभी अपनी तरफ से इस महामारी से निपटने की हर संभव कोशिश में लगे हुए हैं। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं जब किसी महामारी ने लोगों को परेशानी में डाला हो। 100 साल पहले भी विश्व इसी तरह की महामारी झेल चुका है। 1918-1919 में भी इसी तरह के हालात पैदा हो गए थे जब स्पैनिश फ्लू (Spanish Flu) महामारी बनकर उभरा था।

 

5 करोड़ लोगों ने गवाई थी जान

प्रथम विश्व युद्ध खत्म होने के बाद पूरे विश्व में एक महामारी तेजी से फैली। आलम यह था कि लोगों को दफनाने के लिए कब्रिस्तान छोटे पड़ गए थे। ये सब केवल एक देश में नहीं बल्कि पूरे विश्व में हो रहा था। स्पैनिश फ्लू की महामारी से दुनिया की करीब 1 तिहाई आबादी (50 करोड़) प्रभावित हुई थी और करीब 5 करोड़ लोग अपनी जान गवां बैठे थे। भारत की बात करें तो यहां इस फ्लू से करीब 6% लोगों की जान चली गई थी। वो ऐसा खौफनाक साल था जब जन्म से ज्यादा मौतें हुई थीं।

Coronavirus: What can we learn from the Spanish flu? - BBC Future

कैसे शुरू हुआ यह वायरस

एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) का सबसे पहले मामला स्पेन में सामने आया। यह बीमारी प्रथम विश्व युद्ध में शामिल सैनिकों से फैलना शुरू हुआ था। भारत में भी यह बीमारी युद्ध से लौटें सैनिकों द्वारा ही फैला था। सबसे पहले इस वायरस से संक्रमित मरीज बॉम्बे प्रेजिडेंसी में मिला सैनिक था। उस वक्त डॉक्टरों की ज्यादा जानकारी नहीं थी और उन्हें पता नहीं था कि लोगों का इलाज कैसे किया जाए।

1918 के फ्लू जैसी कोविड

''कार्ल मार्क्स ने कहा था इतिहास स्वयं को दोहराता है, पहले एक त्रासदी के रूप में और दूसरा एक मजाक के रूप में।'' इतिहास बेशक खुद को दोहरा रहा है लेकिन दूसरी बार भी दूर-दूर तक सिर्फ त्रासदी ही नजर आ रही है। इस त्रासदी का कारण कोरोना वायरस है, जिसने अभी 10 लाख लोगों को अपना शिकार बनाया है।

Pandemics past and present - A peculiarity of Spanish flu may shed ...

क्वारंटीन, आइसोलेशन ही था उपाय

उस वक्त भी वायरस से बचने के लिए क्वारंटीन, आइसोलेशन और सेल्फ-आइसोलशन के अलावा कोई उपाय नहीं था। बीमार हो रहे लोगों को नमक के पानी से गरारे करने और क्वारंनीन की सलाह दी गई थी।

1918-1919 में भी कर दिया गया था लॉकडाउन

दुनिया को महामारी से बचाने के लिए उस वक्त भी आज की तरह ही लॉकडाउन कर दिया गया था। हालांकि ये कदम कुछ प्रेसिडेंसी में ही उठाए गए थे, जहां इस महामारी का कहर ज्यादा था। भारत शासन अधिनियम, 1919 के तहत भारत का शासन पूरी तरह से ब्रिटिश संसद के इशारों पर चल रहा था।

HRD wants universities to study how India handled 1918 Spanish flu ...

मास्क ना पहनने वालों को जेल का नियम

बॉम्बे प्रेजिडेंसी में तेजी से फैलने के बाद इस वायरस ने उत्तर व पूर्व में सबसे ज्यादा कहर मचाया था। उस समय भी स्वच्छता के लिए हाथ धोने के अखबारों में विज्ञापन दिए गए, सड़कों पर पोस्टर। लगाए गए। इतना ही नहीं, मास्क ना पहनने वालों को जेल जाने का नियम बना दिया गया था। सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह दी गई थी।

लॉकडाउन से हुआ था फायदा

अमेरिका स्थित लॉयोला विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ई पैम्बुसियन सहित वैज्ञानिकों की एक टीम ने अपने अध्ययन में दावा किया है कि 1918-19 में जब स्पेनिश फ्लू की महामारी फैली थी तो इस दौरान भी लॉकडाउन जैसा अहम कदम उठाया गया था। जिन शहरों ने पहले ही क्वारंटीन जैसे एहतियाती कदम उठाए, वहां इस महामारी से मृत्यु दर कम रही। टीम ने इस नतीजे पर पहुंचने के लिए स्पेनिश फ्लू पर पहले हुए तीन रिसर्च पेपर की समीक्षा की।

Did Lack of Social Distancing in 1918 Pandemic Cause More Deaths ...

ये थे लक्षण

. तेज बुखार, नेसल हेमरेज, न्यूमोनिया और अपने ही फेफड़ों में द्रव्यों के भर जाने की वजह से मर रहे थे।
. इस वायरस से संक्रमित मरीज के शरीर का तापमान 104 डिग्री और पल्स 80 से 90 के बीच पहुंच जाती थी। 
. सिर, पीठ और शरीर के दूसरे अंगों में बहुत दर्द होता था।
. श्वासनली में सूजन आ जाती थी।
. नाक और फेफड़ों से खून बहना शुरू हो जाता था और शरीर का रंग बदलने लगता था।

Will the coronavirus outbreak be as bad as the 1918 Spanish flu ...

Related News