भारत में त्यौहारों का सीजन शुरु हो चुका है। जहां लोग फेस्टिवल्स लोगों के लिए खुशियां लेकर आया है वहीं गरीब लोगों के लिए आजीविका का साधन भी बन गया है। जी हां, कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से कई गरीब लोगों की कमाई के साधन छूट गए थे। वहीं अब त्यौहारों में लोग को रोजी-रोटी कमाने का मौका मिल रहा है। दरअसल, मध्य प्रदेश की महिलाएं कमाई के लिए गणेश चतुर्थी पर गोबर की मूर्तियां बनाकर बेच रहीं है।
गोबर से बना रहीं भगवान गणेश की प्रतिमा
जी हां, मध्य प्रदेश, सतना जिले में बांधी मौहार गांव की महिलाएं साथ मिलकर गोबर से मूर्तियां तैयार करवाकर मार्केट में उपलब्ध करवा रहीं है। यहां तक कि महिलाएं गोबर से ही गमले भी बना रही हैं। यह काम करीब 15 दिनों से चल रहा है।
कैसे बना रहीं गोबर से मूर्तियां
मूर्ति तैयार कर रही एक महिला विमला दाहिया ने बताया किवह पहले गोबर को सूखाकर कंडे बनाती हैं और फिर उसे सूखाकर बारीक पीस लेती हैं। इसके बाद वो उसमें पानी, थोड़ा पाउडर मिलाकर मूर्ति, दीए का आकार देती हैं।
दीपावली के लिए भी तैयार कर रहीं सामान
मछुआ स्व-सहायता समूह से जुड़ीं यह महिलाएं सिर्फ गणेश चतुर्थी के लिए मूर्तियां ही नहीं बल्कि दीपावली के लिए भी सामान तैयार कर रही हैं। जी हां, मध्य प्रदेश की यह महिलाएं दीपावली के लिए गोबर से ही देवी लक्ष्मी की मूर्तियां, दीए, शुभ-लाभ जैसी कई चीजें बना रहीं है। यहां तक कि महिलाओं ने दीपावली के लिए गोबर से ॐ भी तैयार किए हैं।
सिर्फ 250 रुपए है कीमत
मूर्ति बना रही महिलाओं ने सतना जिले में ही एक दुकान खोली है, जहां वो शुभ-लाभ, ओम और दीया और गणेश मूर्तियां बेच रही हैं, जिसकी कीमत सिर्फ 250 रुपए है। वहीं गोबर से बने गमले की कीमत मात्र 100 रुपए है। समूह से जुड़ी इन महिलाओं के पास खेती-बाड़ी या परिवार चलाने का कोई साधन नहीं है। मगर, इस समुह से जुड़ने के कारण इनकी अच्छी कमाई हो रही है। सिर्फ सतना में ही अब तक इस समूह से करीब 58,012 महिलाएं जुड़ चुकी हैं। यही नहीं प्रशासन भी मूर्तियां बेचने में महिलाओं की सहायता में जुटी हुई हैं।
क्यों फायदेमंद है गोबर की मूर्तियां?
दरअसल, गाय का गोबर ना सिर्फ धार्मिस दृष्टि से शुद्ध माना जाता है बल्कि इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान होता। दरअसल, आप घर पर ही भगवान गणेश का विसर्जन कर गोबर को खाद की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि मूर्तियां बनाने के लिए किसी भी तरह का केमिकल यूज नहीं की जा रहा इसलिए यह पौधों के लिए काम आ सकती हैं।