नारी डेस्क: मां के दूध से ज्यादा सेहतमंद शिशु के लिए कोई और चीज हो ही नहीं सकती। विशेषज्ञ भी इस बात काे मानते हैं कि मां का दूध (ब्रेस्टमिल्क) पीने वाले बच्चों में एलर्जी का खतरा कम होता है। यह बात कई शोधों में भी साबित हो चुकी है। मां का दूध शिशु के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है, खासकर नवजात शिशुओं के लिए। चलिए जानते हैं मां का दूध किस तरह करता है बच्चे की सुरक्षा।
इम्यून सिस्टम होता है मजबूत
मां के दूध में इम्यूनोग्लोबुलिन (विशेष रूप से IgA) पाया जाता है, जो शिशु के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और उसे एलर्जी से बचाने में मदद करता है। मां का दूध शिशु को जरूरी एंटीबॉडीज प्रदान करता है, जो बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं। यह शिशु के शरीर को बाहरी एलर्जी और संक्रमण से बचाने में सक्षम होता है।
प्रोबायोटिक्स का लाभ
मां के दूध में ऐसे तत्व होते हैं जो शिशु की आंतों में फायदेमंद बैक्टीरिया (प्रोबायोटिक्स) के विकास को बढ़ावा देते हैं। ये बैक्टीरिया आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और एलर्जी के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं। हाइजीन हाइपोथेसिस के अनुसार, शुरुआती जीवन में मां का दूध एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करता है, क्योंकि यह शिशु को प्राकृतिक तरीके से कुछ हद तक एलर्जी कारकों से बचाव प्रदान करता है। मां का दूध शिशु के लिए प्राकृतिक रूप से अनुकूल होता है, जिससे उसे दूध आधारित फार्मूला या गाय के दूध से होने वाली संभावित एलर्जी का खतरा कम होता है।
मां के दूध के अन्य लाभ
- मां का दूध आसानी से पचता है, जिससे शिशु को कब्ज, गैस और पेट की समस्याओं का खतरा कम होता है।
-मां का दूध शिशु को डायरिया, निमोनिया, कान के संक्रमण, और अन्य बीमारियों से बचाने में मदद करता है।
-अध्ययन से पता चला है कि ब्रेस्टफीडिंग से शिशु के जीवन में मोटापा, डायबिटीज़ और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो सकता है।
गाय के दूध से एलर्जी से खतरा
मां का दूध शिशु के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम होता है और इसमें मौजूद एंटीबॉडीज और पोषक तत्व शिशु को एलर्जी और अन्य बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। इसलिए, शिशु को जितना संभव हो सके मां का दूध पिलाना उनके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि गाय के दूध में मौजूद फॉर्मूला एलर्जी की संभावना को बढ़ाता है।
छोटी उम्र में ही एलर्जी का शिकार हो जाते हैं बच्चे
बाल चिकित्सा एलर्जी विशेषज्ञ डॉ. सुरेश का कहना है कि आमतौर पर एलर्जी परिवार में चलती है। बच्चे में एलर्जी के लक्षण बहुत कम उम्र में ही विकसित हो जाते हैं, यहां तक कि उनके जीवन के पहले दशक में भी। जैसे-जैसे पीढ़ी आगे बढ़ती है, श्वसन संबंधी एलर्जी खाद्य एलर्जी में वृद्धि होने लगती है। कुछ बच्चों में रैशेस हो सकते हैं या यहां तक कि एनाफिलेक्सिस भी हो सकता है यह एक गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया है जो जीवन के लिए खतरा हो सकती है। "
एलर्जी को लेकर नहीं दिया जा रहा ध्यान
डॉ. सुरेश का कहना है कहना है कि- ऐसे बच्चों की स्थिति और माता-पिता को उनकी देखभाल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। भले ही एलर्जी के मामले काफी बढ़ रहे हैं, लेकिन भारत में एलर्जी पर कोई डेटा नहीं है। डाॅक्टर ने कहा- "एलर्जी एक बीमारी है और जैसे-जैसे हम एक विकसित देश बनते जा रहे हैं, यह अधिक बढ़ती जा रही है।"